देवी गायत्रीको काल्पनिक बताने वाली पाठ्यपुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग याचिका खारिज

देवी गायत्रीको काल्पनिक बताने वाली पाठ्यपुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग याचिका खारिज
देवी गायत्रीको काल्पनिक बताने वाली पाठ्यपुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग याचिका खारिज

प्रयागराज ( हिंस ) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पाठ्यपुस्तक तथाकथित गायत्री देवी मंत्र की वास्तविकता के मुद्रण, प्रकाशन, वितरण और प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि संत ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द परमहंस द्वारा लिखित पाठ्यपुस्तक में तर्क दिया गया है कि देवी गायत्री, वैदिक ग्रंथों के एक लोकप्रिय भजन गायत्री मंत्र का साकार रूप काल्पनिक है। कथित तौर पर, इसमें यह भी दावा किया गया है कि तथाकथित गायत्री देवी की झूठी और काल्पनिक छवियां और मूर्तियां भी बनाई जा रही हैं, जो धार्मिक रूप से इच्छुक लोगों को गुमराह कर रही हैं। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इसी तरह की याची द्वारा दाखिल एक अन्य याचिका 2016 में निरर्थक बताकर कोर्ट ने खारिज कर दी थी । उल्लेखनीय है कि जनहित याचिका में कहा गया था कि प्राइवेट प्रतिवादियों (पुस्तक के प्रकाशकों सहित) ने गायत्री मंत्र के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। तथा उक्त पुस्तक प्रकाशित करके इस सम्बंध में विकृति उत्पन्न की है। कहा गया था कि पुस्तक भ्रामक है और इसके प्रकाशन से लाखों पुरुष, महिलाएं, विद्वान, आचार्य और विशेषकर पंडित भ्रमित हो रहें हैं। यह हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने यह आदेश सत्य सनातन धर्म धर्मात्मा कल्याण समिि बनाम यूपी राज्य और 5 अन्य की याचिका पर दिया है।

देवी गायत्रीको काल्पनिक बताने वाली पाठ्यपुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग याचिका खारिज
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