गांधी नेहरु परिवार लम्बे अरसे से राजनीति में सक्रिय है। लेकिन यह शायद पहली बार है कि लगभग सारा परिवार संसद में उपस्थित है। सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं, उनका बेटा राहुल गांधी और उनकी बेटी प्रियंका गांधी लोकसभा की सदस्य हैं। मोती लाल नेहरु से राजनीति शुरू करने वाला यह परिवार सोनिया गांधी तक पहुंचते-पहुंचते देश की राजनीति में तो बना हुआ है, लेकिन भारतीय संस्कृति, उसके इतिहास व समाजशास्त्र से बुरी तरह कट चुका है। इसमें परिवार की इस पीढ़ी का दोष नहीं है। सोनिया गांधी से इस प्रकार की आशा भी नहीं करनी चाहिए। जहां तक उनके बेटे और बेटी का प्रश्न है, वे छोटी उम्र में ही पिता के साये मरहूम हो गए थे। इसलिए उन पर माता का ही प्रभाव पड़ सकता था। यह प्रभाव पड़ा भी। यही कारण है कि राहुल गांधी जलेबियों की फैक्टरियां लगवा कर चुनाव जीतने की रणनीति बनाने लगे। जहां तक प्रियंका गांधी का प्रश्न है, उसको शायद किसी ने बता दिया होगा कि आजकल देश में प्रमुख मुद्दा फिलीस्तीन की आजादी का है। यदि कांग्रेस फिलीस्तीन की आजादी के पक्ष में खड़ी हो जाती है, तो भारत के लोग कांग्रेस के पक्ष में खड़े हो सकते हैं। यानी भारत में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का रास्ता फिलीस्तीन की आजादी में से होकर गुजरता है। लेकिन असली मसला तो यह था कि कांग्रेस या भारत की फिलीस्तीन को आजादी दिलवाने में क्या भूमिका हो सकती है ? आजादी प्राप्त करने का तरीका क्या है ? सोनिया गांधी परिवार के लिए गणित के इस कठिन प्रश्न का उत्तर पा लेना जरूरी था। अब इस कठिन प्रश्न का उत्तर कांग्रेस के लिहाज से एक ही हो सकता था कि प्रियंका गांधी अपने कन्धे पर ‘फिलीस्तीन की आजादी’ लिखा बैग लेकर संसद में जाए तो फिलीस्तीन आजाद हो सकता है। फिलीस्तीनी आजादी से प्रसन्न होकर भारत में कांग्रेस की सत्ता वापसी हो सकती है। दूसरे दिन किसी ने बता दिया कि ‘फिलीस्तीन की आजादी’ भारत का इश्यू नहीं है। यहां तो सत्ता वापसी का रास्ता ‘बांग्लादेश’ के हिंदू का मसला उठाने से बन सकता है। तब दूसरे दिन प्रियंका गांधी अपने पर्स पर बांग्लादेश लिखवा लाई । लेकिन चिंता तो है ही। समय निकलता जा रहा है। और सत्ता वापस आने के आसार दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे। खुदा का शुक्र है कि सोनिया जी के दोनों बच्चे अंग्रेजी पढ़े लिखे हैं। पुराने ‘ब्रिटिश मास्टर’ की किताबों में दिन-रात खपते हैं। आखिर यूरोप के लोग दो सौ साल हिंदुस्तान पर राज कैसे कर गए? इस मामले में सोनिया गांधी भी कुछ न कुछ बताती ही होंगी या कम से कम माथा तो खपाता ही होंगी। तब पता चलता है कि वे भारत के लोगों में फूट डालते थे और राज करते थे। तभी से पूरा ‘राज परिवार’ भारत में हर हालत में जाति के आधार पर जनगणना करवाने को लेकर छटपटा रहा है। प्रतीक्षा करनी चाहिए, अब प्रियंका गांधी ‘जाति गणना करवाएं’ वाला बैग लेकर संसद में कब आती हैं। सत्ता वापसी का एक दूसरा रास्ता भी दिखाई दे रहा है । ईवीएम को लेकर प्रतिदिन मातमी धुनें बजाई जाएं। इससे देश के भविष्य का प्रश्न जोड़ा जाए। इसलिए हर रोज कायदे से ईवीएम के तबले पर घंटों रियाज किया जाता है। लेकिन राज परिवार की इन हरकतों से आसपास के राजनीतिक पड़ोसी भी घबराहट में हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो इस बेमानी शोर शराबे से तंग आकर कह ही दिया कि लगता है आप लोगों से यह हो नहीं पाएगा। ईवीएम का रोना धोना बंद करो, सत्ता प्राप्ति का कोई दूसरा रास्ता तलाशो। लेकिन राज परिवार का हर यही तो संकट है। सत्ता तक पहुंच पाने का दूसरा रास्ता कहां है, सोनिया-राहुल-प्रियंका ने उस रास्ते की तलाश में मल्लिकार्जुन खड़गे साहिब को आगे कर दिया। वह हाथ में डंडा लेकर अंधेरे में टटोलते हुए एक-एक कदम आगे चलते हैं और राज परिवार उनके पीछे चलता है। दुनिया आशा पर ही टिकी हुई है। वैसे भी खड़ग़ देसी आदमी हैं, इस देश को बखूबी समझते हैं। कहीं न कहीं तो पहुंचाएंगे ही। परंतु खडग़ भी बेचारा क्या कर सकता है। दुनिया की नजर में तो वह आगे-आगे दिखाई देता है, लेकिन आज्ञा पीछे से राज परिवार ही दे रहा है। कभी दाएं मुड़, कभी बाएं मुड़। इस बुढ़ौती में खडग़ साहिब परेशान हैं। लेकिन हालत में इस पुराने राज परिवार के बच्चों को इस देश के तख्त पर बिठाना है । पर बच्चे नटखट हैं। खड़ग़ की सुनते नहीं, उन पर अपना हुक्म चलाते हैं। कभी सोरोस जार्ज के कन्धों पर सवार होकर चिकोटी काटते हैं और कभी अमेरिका की भारत विरोधी ‘डीप सटेट’ के अंग संग दिखाई देते हैं। यह डीप सटेट इतना तो समझ ही गई है कि भारत को तोडने का जो सामान और पटाखे उसने लम्बे अरसे से तैयार कर रखे थे, अब भारत में उसके माल का असली ग्राहक मिल गया है। इसलिए ‘फाइव आईज’ से ये पटाखे लेकर राज परिवार के बच्चे हर रोज भारत के आंगन में जलाते हैं और विदेशी षड्यन्त्रों का प्रदूषण फैलाते हैं। किसान को तो रोज समझाया और डराया जा रहा है कि पराली मत जलाओ, इससे प्रदूषण फैलता है। लेकिन यह पुराना राज परिवार विदेशी षड्यन्त्रों का जहरीला धुआं हर रोज फैलाता है। पर इनको कौन समझाए ? खडग़ साहिब समझाते तो जरूर होंगे। पर बेचारे क्या करें? लाचार हैं। इस उम्र में राज परिवार की सेवा से किनारा भी तो नहीं कर सकते। अब राज परिवार पर एक नया भूत चढ़ बैठा है। हिंदू को छोड़ो, मुसलमान को पकड़ लो। वही इस भवसागर से पार लगाएगा और सत्ता के किनारे तक पहुंचा देगा। दूर पार के लोगों ने समझाया भी यहां हिन्दुस्तान में मुसलमान जैसा कुछ नहीं है। ये सब इसी देश के लोग हैं, इटली या अरब से आए हुए लोग नहीं हैं।