पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात को 92 साल की आयु में निधन हो गया। डॉ. सिंह न केवल प्रधानमंत्री रहे, बल्कि वित्त मंत्री के रूप में भी काम किया। उनके नाम पर कई बड़ी उपलब्धियां हैं, जब देश 90 के दशक में आर्थिक संकट के दौर गुजर रहा था, तब बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कई बड़े फैसले लिए, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल दी आर्थिक उदारीकरण में उनका विशेष योगदान रहा है। आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. सिंह को 1991 के अपने उस ऐतिहासिक केंद्रीय बजट की व्यापक स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए अग्नि परीक्षा का सामना करना पड़ा था, जिसने देश को अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से उबारा था। भारत के आर्थिक सुधारों के शिल्पकार डॉ. सिंह ने 1991 के ऐतिहासिक केंद्रीय बजट को मंजूर करवाने के लिए काफी संघर्ष किया था । यह वही बजट था, जिसने भारत को सबसे गंभीर वित्तीय संकटों से उबारते हुए नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पार्टी के दबाव में डॉ. सिंह ने उर्वरक की कीमतों में 40 फीसदी वृद्धि को घटाकर 30 फीसदी करने पर सहमति दी, लेकिन एलपीजी और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि को जस का तस रखा। वर्ष 1991 का यह बजट और इसके बाद का घटनाक्रम न केवल भारत की वित्तीय स्थिरता का आधार बना, बल्कि इसने यह साबित किया कैसे मुश्किल परिस्थितियों में दूरदर्शिता और दृढ़ता से एक नई दिशा तय की जा सकती है ।