अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि डाइ- अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक पर विशेष सब्सिडी बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले से किसानों के हितों की रक्षा के बजाय कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। किसान संगठन ने कहा कि अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) का मानना है कि डाइ – अमोनियम फॉस्फेट पर विशेष सब्सिडी बढ़ाने के सरकार के फैसले से किसानों के हितों की रक्षा के बजाय कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। एआईकेएस ने कहा कि नवंबर, 2012 से यूरिया की कीमत वैधानिक रूप से 266.50 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बोरी तय की गई है, लेकिन म्यूरेट ऑफ पोटाश ( एमओपी) की कीमतें 2009-10 में 4,455 रुपये प्रति टन से बढ़कर अगस्त, 2023 में 34,644 रुपये प्रति टन हो गई है। संगठन ने कहा कि डाइ- अमोनियम फॉस्फेट की कीमत 2009-10 में 9,350 रुपये से बढ़कर 2023 (अगस्त) में 27,000 रुपये प्रति टन हो गई। दूसरी ओर, पिछले तीन वर्षों में उर्वरक सब्सिडी में 87,339 करोड़ रुपये की भारी कटौती की गई है। बयान के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में ( वास्तविक ) उर्वरक सब्सिडी 2,51,339 करोड़ रुपये थी। जबकि 2023-24 के बजट में (संशोधित) में इस मद में व्यय केवल 1,88, 894 करोड़ रुपये था। यह 2022-23 के मुकाबले 62,445 करोड़ रुपये कम था। 2024-25 के बजट अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 1,64,000 करोड़ रुपये है, यानी यह भी इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 24,894 करोड़ कम है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने डीएपी उर्वरक को 1,350 रुपये प्रति बोरी के भाव पर किसानों तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सब्सिडी को 31 दिसंबर, 2024 से आगे बढ़ाने का बुधवार को फैसला किया। इससे सरकारी खजाने पर 3,850 करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ेगा ।