नई दिल्ली।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री जन- धन योजना (पीएमजेडीवाई) दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेश पहल है। सीतारमण ने कहा कि ये योजना गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा में लाती है और हाशिए पर मौजूद समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सीतारमण ने देश में वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन- प्रधानमंत्री जन- धन योजना के सफलतापूर्वक एक दशक
(दस वर्ष) पूरा होने के अवसर पर जारी एक बयान में ये बात कही। उन्होंने कहा कि पीएमजेडीवाई की शुरुआत के बाद से अबतक 53.14 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को बैंकिंग सुविधा मिली है। वित्त मंत्री ने कहा कि पीएमजेडीवाई लाभार्थियों के खातों में कुल जमा राशि 2,31,236 करोड़ रुपये है। पीएमजेडीवाई खाते मार्च, 2015 में 15.67 करोड़ से 3.6 गुना बढ़कर 14 अगस्त, 2024 तक 53.14 करोड़ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि करीब 55.6 फीसदी जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं, जबकि करीब 66.6 फीसदी जन-धन खाते ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में हैं। वहीं, पीएमजेडीवाई खाताधारकों को 36.14 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए हैं, जो 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान करते हैं।उन्होंने कहा कि इस योजना से जन- धन, मोबाइल एवं आधार को लिंक करते हुए सहमति आधारित पाइपलाइन वित्तीय समावेशन परिवेश का एक सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है जिसने सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभों को पात्र लाभार्थियों के खाते में त्वरित, निर्बाध एवं पारदर्शी तरीके से हस्तांतरित करने में सक्षम बनाया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है। उन्होंने इस योजना के दस वर्ष पूरा होने की पूर्व संध्या पर कहा था कि सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में 3 करोड़ और अकाउंट खोलने की है। पीएमजेडीवाई के दस वर्ष पूरा होने पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि ये योजना न केवल मिशन मोड में शासन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अगर सरकार लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो तो वह क्या नहीं हासिल कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत किए गए प्रयासों ने प्रभावी तौर पर परिवर्तनकारी एवं दिशात्मक बदलाव किए हैं। इससे बैंक एवं वित्तीय संस्थान समाज के अंतिम व्यक्ति यानी सबसे गरीब व्यक्ति तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने में समर्थ हुए हैं।