
भारत में क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाला खर्च जनवरी में बढ़कर 1,84, 100 करोड़ रुपए हो गया है। इसमें सालाना आधार पर 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल क्रेडिट कार्ड को लेनदेन की वॉल्यूम जनवरी 2025 में 43 करोड़ रही है। इसमें सालाना आधार पर 31 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि मासिक आधार पर एक फीसदी की मामूली गिरावट हुई है। इसकी वजह दिसंबर 2024 का उच्च आधार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक लेनदेन की मात्रा में गिरावट का कारण धोखाधड़ी के कारण बढ़ी हुई सतर्कता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए कार्ड डिस्पैच, कार्ड खर्च और प्रति कार्ड लेनदेन के मामले में उद्योग स्तर पर क्रेडिट कार्ड डेटा में कमी आई हैं, लेकिन एचडीएफसी और एसबीआई जैसे प्रमुख बैंकों के कार्ड डिस्पैच देखे गए हैं और इसके परिणामस्वरूप बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि आउटस्टैंडिंग क्रेडिट कार्ड की संख्या जनवरी में 10.9 करोड़ रही। दिसंबर 2024 के मुकाबले इसमें 12 लाख की कमी आई है। प्रति कार्ड औसत खर्च भी मासिक आधार पर एक फीसदी गिरकर 16,911 रुपए हो गया है। हालांकि,
इसमें सालाना आधार पर मामूली एक फीसदी का इजाफा हुआ है।
हर लेनदेन का औसत आकार सालाना आधार पर 15 फीसदी घटकर 4, 282 रुपए रह गया, जो कि ग्राहकों के बदलते व्यवहार और व्यापक आर्थिक परिस्थितियों को दिखाता है। अग्रणी बैंकों ने क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना जारी रखा। एचडीएफसी बैंक ने आक्रामक ग्राहक अधिग्रहण रणनीतियों के माध्यम से पिछले साल की तुलना में अपनी बाजार हिस्सेदारी 20.2 फीसदी से बढ़ाकर 21.5 फीसदी कर ली है।
एसबीआई ने बाजार हिस्सेदारी में
गिरावट से उबरते हुए अकेले जनवरी में 2,40,000 नए कार्ड जोड़े हैं और कंपनी का मार्केट शेयर 18.8 फीसदी पर पहुंच गया है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक की बाजार हिस्सेदारी 16.3 फीसदी से बढ़कर 16.6 फीसदी हो गई है। इस महीने की एक प्रमुख विशेषता यह रही कि आरबीआई ने फरवरी 2025 में कोटक महिंद्रा बैंक के क्रेडिट कार्ड जारी करने पर 10 महीने के प्रतिबंध को हटा दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि लेनदेन की मात्रा और खर्च में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, क्रेडिट कार्ड उद्योग ने मजबूत दीर्घकालिक विकास प्रदर्शित करना जारी है।
