वॉशिंगटन ।
इजराइल और हमास के बीच शुरू हुई लड़ाई अभी भी जारी है। आतंकी संगठन हमास के हमले ने जहां दुनिया में तहलका मचा दिया है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका समेत कई देश इस हमले की निंदा कर रहे हैं। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमास के हमलों को बेहद क्रूर बताया है। बाइडन ने कहा कि उनका मानना है कि यहूदी नरसंहार ( होलोकॉस्ट) के बाद यह यहूदियों के लिए सबसे घातक दिन है। आइये जानते हैं कि आखिर क्या था होलोकॉस्ट जिसका जिक्र बाइडन ने किया पहले जानते हैं बाइडन ने कहा क्या राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस में यहूदी नेताओं की गोलमेज बैठक को सम्बोधित किया। बाइडन ने कहा कि उन्होंने फिर से इजराइली प्रधानमंत्री । बेंजामिन नेतन्याहू से बात की। इस दौरान उन्होंने
होलोकास्ट की दर्दनाक यादें
इस बात पर जोर दिया कि इजराइल को कोई भी कार्रवाई युद्ध के नियमों के अनुसार करनी चाहिए । बाइडन ने कहा, मैं नेतन्याहू को 40 वर्षों से जानता हूं। हमारे बीच बहुत ही स्पष्ट रिश्ता है। एक बात जो मैंने कही है कि वास्तव में महत्वपूर्ण है कि इजराइल सभी गुस्से और हताशा में भी युद्ध के नियमों के अनुसार अपने कदम उठाए। बाइडन ने आगे कहा, मेरा मानना है कि इजराइली सरकार देश को एकजुट करने के लिए अपनी पूरी ताकत के साथ सब कुछ कर रही है और अमेरिका भी इजराइल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अपनी ताकत से मदद कर रहा है। मैं मानता हूं कि यहूदी नरसंहार (होलोकॉस्ट) के बाद यह यहूदियों के लिए सबसे घातक दिन है।
जानते हैं होलोकॉस्ट क्या था - द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने लगभग 60 लाख यूरोपीय यहूदियों की हत्या कर दी थी। इसी नरसंहार को होलोकॉस्ट कहा जाता है। होलोकॉस्ट को समूचे यहूदी लोगों को जड़ से खत्म कर देने का सोचा-समझा और योजनाबद्ध प्रयास बताया जाता है। दरअसल, नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी को नाजी कहा जाता था । नाजी पार्टी जर्मनी में एक राजनीतिक पार्टी थी जो 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद स्थापित हुई थी । यह पार्टी 1920 के दशक में बहुत लोकप्रिय हुई, क्योंकि उस समय जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा था। जर्मनी युद्ध हार गया था और विजेताओं को बहुत सारे पैसे देने के लिए मजबूर किया गया था और अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर थी । जर्मनी के अधिकतर लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे। उस समय लोग बदलाव की आशा के कारण नाजी पार्टी की तरफ अग्रसर हुए। नाजी नस्लवादी थे उनका मानना था कि जर्मन पूरी दुनिया में सबसे श्रेष्ठ हैं । ये यहूदियों के घोर विरोधी थे जिसका असर इनकी सभी नीतियों और कार्यों पर पड़ा। 1921 में इस पार्टी का नियंत्रण हिटलर के हाथ में गया। 1933 में जर्मनी में सत्ता संभालने के बाद से नाजियों ने जर्मन यहूदियों को मानव और नागरिक अधिकारों से वंचित करने के लिए दुष्प्रचार, उत्पीड़न और कानून का इस्तेमाल किया ।