नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल ने पुजारियों और ग्रंथियों को 18,000 रुपए हर महीने देने की घोषणा कर नई बहस छेड़ दी है। आम आदमी पार्टी कह रही है कि इस घोषणा के बाद दिल्ली के पुजारी उसके साथ आ गए हैं। लेकिन दिल्ली के अनेक पुजारियों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में 10 साल से सत्ता में हैं, लेकिन आज तक उन्हें पुजारियों की याद नहीं आई। अब जब उनकी सत्ता से जाने का समय आ गया है, उन्हें पुजारियों की याद आ रही है। भाजपा के मंदिर प्रकोष्ठ में एक पदाधिकारी आचार्य राजीव शुक्ला ने कहा कि अरविंद केजरीवाल कुछ करने वाले नहीं हैं। उन्होंने बुजुर्गों और विधवाओं को भी पेंशन देने के लिए कहा था, लेकिन उनके पेंशन रुके हुए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 20 हजार मंदिर हैं और हर मंदिर में तीन से चार पुजारी हैं। ऐसे में सरकार को 80 हजार लोगों को पेंशन देनी पड़ेगी। सरकार के पास इमामों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, वह बुजुर्गों और विधवाओं को पेंशन नहीं दे पा रही है, ऐसे में वह इमामों को वेतन कैसे दे पाएगी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं । करावल नगर के पुजारी जय प्रकाश भट्ट ने कहा कि केजरीवाल को इस बात के लिए धन्यवाद कहना चाहिए कि उन्होंने पहली बार पुजारियों की समस्याओं के बारे में बात की। लेकिन उन्हें यह तो बताना पड़ेगा कि चुनाव के अंतिम समय में ही उन्हें पुजारियों की बात क्यों याद आई। वे 10 साल से सत्ता में हैं। आज तक उन्हें यह याद क्यों नहीं आई, जबकि पुजारियों ने उनके आवास पर जाकर कई बार प्रदर्शन भी किया था । एक अन्य पुजारी ने कहा कि पुजारी जिस तरह की गंभीर समस्याओं में जीवन गुजारते हैं, उसे देखते हुए सरकार का यह कदम पूरी तरह सही है। लेकिन उसे यह बताना चाहिए कि चुनाव में हार सामने देख कर ही उसे हिंदू पुजारियों की याद क्यों आई।