
खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025
के अंतिम दिन से पहले हरियाणा पदक तालिका
में शीर्ष पर बरकरार
नई दिल्
खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 के सातवें दिन गुजरात की पैरा ओलंपियन सोनलबेन पटेल ने महिलाओं की क्लास 3 टेबल टेनिस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने बिहार की विद्या कुमारी को आसानी से हराकर खिताब पर कब्जा किया।
इंदिरा गांधी स्टेडियम कॉम्प्लेक्स में बुधवार को खेले गए अन्य टेबल टेनिस फाइनल मुकाबलों में 21 वर्षीय रिषित नथवानी और 14 वर्षीय दीपिका विजय ने पुरुषों की क्लास 5 और महिलाओं की क्लास 4 श्रेणी में चौंकाने वाली जीत दर्ज की
पदक तालिका में हरियाणा शीर्ष पर..
खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 के सातवें दिन के समापन तक 178 स्वर्ण पदक तय हो चुके थे । हरियाणा 32 स्वर्ण पदकों के साथ शीर्ष पर बना हुआ है, जबकि तमिलनाडु (28 स्वर्ण) और उत्तर प्रदेश (22 स्वर्ण) क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। सोनबेन पटेल का संघर्ष और सफलता की कहानी…
37 वर्षीय सोनलबेन पटेल जब केवल छह महीने की थीं, तब उन्हें पोलियो हो गया था, जिससे उनके दोनों पैर और दाहिना हाथ प्रभावित हुआ और 90 दिव्यांगता हो गई। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और 2022 में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब उन्होंने खेलो इंडिया पैरा गेम्स में भी लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता।
अपनी जीत के बाद सोनलबेन ने कहा, खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में न सिर्फ भाग लेना बल्कि लगातार दूसरी बार स्वर्ण जीतना अविश्वसनीय अनुभव है। मैंने कभी अपनी दिव्यांगता को अपनी सफलता की राह में रुकावट नहीं बनने दिया, और इस
पर मुझे गर्व है।
पावरलिफ्टिंग में बने चार नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड
तीन दिनों तक चली पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में चार राष्ट्रीय रिकॉर्ड बने । जसप्रीत कौर (45 किग्रा), मनीष कुमार (54 किग्रा), सीमा रानी (61 किग्रा) और झांडू कुमार (72 किग्रा) ने अपने-अपने भार वर्ग में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया।
हरियाणा के प्रदीप जून ने 107 + किग्रा भार वर्ग में 194 किग्रा वजन उठाकर लगातार दूसरी बार खेलो इंडिया पैरा गेम्स का स्वर्ण पदक जीता। प्रदीप, जो एक किसान परिवार से आते हैं, ने 2021 में पावरलिफ्टिंग शुरू की थी और अब वे राष्ट्रीय खेलों और खेलो इंडिया पैरा गेम्स में स्वर्ण जीत चुके हैं।
अपनी कठिन यात्रा को याद करते हुए प्रदीप ने कहा, मैं खेत में काम कर रहा था, तभी एक हादसे में मेरी टांग में नसों को नुकसान पहुंचा। सही इलाज न मिलने के कारण मेरी टांग काटनी पड़ी। मैं छह महीने तक अवसाद में रहा, लेकिन मेरे दोस्त जयदीप ने मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे पावरलिफ्टिंग से जोड़ा, जिससे मुझे नई पहचान मिली।
दिल्ली की सहिस्ता ने भी शानदार प्रदर्शन किया और पिछले संस्करण की रजत पदक विजेता इस बार 79 किग्रा भार वर्ग में 81 किग्रा वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहीं। बचपन में एक गलत इंजेक्शन के कारण उनके घुटने को स्थायी नुकसान हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत में बदला | अपनी उपलब्धि पर सहिस्ता ने कहा, मैंने समय
के साथ इसे स्वीकार किया। पहले मैं सिर्फ बाइसेप्स बनाना चाहती थी, लेकिन फिर मुझे पैरा पावरलिफ्टिंग का पता चला और यह मेरा लक्ष्य बन गया । राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के बाद, अब खेलो इंडिया में स्वर्ण जीतना मेरे करियर का बड़ा पड़ाव है। अगला लक्ष्य पैरालंपिक है।
अन्य पावरलिफ्टिंग स्पर्धाओं में महाराष्ट्र के दिनेश बगाडे ( 107 किग्रा) और तमिलनाडु की अरुणमोली अरुणागिरी (86 किग्रा) ने भी स्वर्ण पदक जीते ।
