कश्मीर नरसंहार की याद में मुहम्मदिया विवि में सेमिनार, वक्ता बोले- 35000 मौतों का कारण पाकिस्तान
जकार्ता ।
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित मुहम्मदिया विश्वविद्यालय में कश्मीर नरसंहार की याद में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। घटना 22 अगस्त 1947 की है। जब पाकिस्तान के पश्तून आदिवासी ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर जम्मू- -कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, इस अभियान का नाम ऑपरेशन गुलमर्ग था । विश्वविद्यालय के डिप्टी डीन जॉनी गुनांटो ने सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि राजनीति विज्ञान अध्ययन कार्यक्रम के छात्रों और अतंरराष्ट्रीय संबंधों के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें इसे समझने की विशेष आवश्यकता है। हम छात्रों से कहते हैं कि वे अपने ज्ञान को समृद्ध करें। हम उन्हें समझाते हैं कि जो चीजें मानवता के खिलाफ वह संविधान के भी खिलाफ है।
हिंदुओं - सिखों के साथ भारत का समर्थन करने वाले मुस्लिमों की भी हत्याएं हुईं
सेमिनार में एक वक्ता ने बताया कि गुलमर्ग ऑपरेशन में 35,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान न सिर्फ हत्याएं हुईं लोगों को बंधक बनाया गया, जिसे बाद में पाकिस्तान में बेच दिया गया । आतंकियों ने न सिर्फ हिंदुओं और सिखों का नरसंहार किया बल्कि उन कश्मीरी मुसलमानों को भी मारा, जिन्होंने पाकिस्तान में शामिल होने से मना कर दिया। पाकिस्तानी ऐसे मुस्लिमों को गद्दार कहते हैं। आज के दौर में कश्मीर विकास के पहलुओं में पिछड़ गया था। कश्मीर में आर्थिक विकास और शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 15 हटा दिया, जिससे कश्मीर के खास राज्य का दर्जा खत्म हो गया और वह भी अन्य राज्यों की तरह सामान्य हो गया । अब कश्मीर में विकास हो रहा है वीरमल्ला अंजैया ने बताया कि जम्मू-कश्मीर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। मानवीय सहायता, संकट प्रबंधन, सामाजिक बुनियादी ढांचे, विकास परियोजनाओं और आर्थिक बुनियादी ढांचे को विकासित किया जा रहा है। 1947 में जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की जरूरत है