कमर्शियल टूरिज्म की राह चुने प्रदेश

एक पर्यटक के नाते यदि आप अपने राज्य का ही भ्रमण कर लें तो यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है और कहीं भारत भ्रमण करने की ठान लें तो भला आपसे बड़े जीवट वाला और कौन हो सकता है। घूमना फिरना, नई जगहों पर जाकर रोमांचित होना और नई जानकारियां एकत्रित करना, यह किसी भी यात्रा प्रेमी मनुष्य के लिए किसी सिद्धि अथवा महत्वपूर्ण सफलता पाने से कमतर बात नहीं हो सकती है। आधुनिक दौर में अमीर लोग तो अपने पर्यटन संबंधी शौक पूरे कर ही लेते हैं, वहीं अब कम आय वर्ग, व्यापारी वर्ग और मध्यमवर्गीय परिवार भी बहुधा सपरिवार अपने निकटवर्ती मशहूर स्थलों या पड़ोसी राज्यों के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों का दौरा कर रहे हैं। यदि इस पर्यटक वर्ग को सरकारी सेक्टर के होटलों में सस्ते कमरे और स्वादिष्ट भोजन सुविधाएं मिलें तो निश्चित तौर पर हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के हिमाचल पर्यटन विकास निगम के घाटे में चल रहे 18 होटलों को पहले बंद करने तथा बाद में उन्हें 31 मार्च 2025 तक चलाने की मोहलत देने के आदेशों के आलोक में समझा जा सकता है कि आखिर वे कौन लोग हैं जिनकी कार्यशैली के चलते पर्यटन निगम का अस्तित्व ही खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है ? अतएव यह आवश्यक हो जाता है कि पर्यटन विभाग के कर्मचारियों को नियमित अंतराल पर रिफ्रेशर कोर्स करवाकर उन्हें गुणवत्तायुक्त सेवाओं हेतु तैयार किया जाए। भारत आने वाले देसी- विदेशी पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र तमिलनाडु राज्य है, जबकि दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है। टॉप टेन की सूची में हिमाचल को पहुंचने के लिए अभी मीलों लंबा सफर तय करना पड़ेगा। हाल ही में हिमाचल सरकार और एशियन डिवेलपमेंट बैंक (एडीबी) के मध्य हुए एमओयू के बाद हिमाचल पर्यटन विभाग को 1378 करोड़ रुपए की धनराशि मिलने जा रही है। प्रोजेक्ट के तहत पांच जिलों, क्रमशः कुल्लू, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी और शिमला के पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे। इसके अंतर्गत हेरिटेज इमारतों का जीर्णोद्धार किया जाएगा एवं बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। पर्यटन स्थलों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, साहसिक गतिविधियां, वाटर स्पोट्र्स, टूरिस्ट प्लेस का सौंदर्यकरण, वेलनेस सेंटर, पर्यटकों के मनोरंजन को सुविधाएं, रीवर राफ्टिंग, पैरा ग्लाइडिंग, आइस स्केटिंग, रोलर स्केटिंग रिंग और बाइकिंग ट्रैक्स विकसित किए जाएंगे, लेकिन इन सब कार्यों को पूर्णता में तैयार होने में समय लगेगा। सरकार को चाहिए कि वह पर्यटन को बढ़ावा देने और उसे राज्य की आर्थिकी का महत्वपूर्ण सोर्स बनाने के उपाय पर काम करे। हिमाचल प्रदेश में सरकारी संपतियों का लेखा-जोखा होना चाहिए, जिनमें बीड़ स्थित पार्किंग और पैरा ग्लाइडिंग प्रशिक्षण संस्थान का भवन भी शामिल है। पहले सरकार के पास जो भवन और शौचालय हैं, उनकी मरम्मत, साफ-सफाई और रंग रोगन तो करवाए। आखिर किन उपायों से व्यवस्था परिवर्तन का सपना साकार होगा। अब तपोवन स्थित विधानसभा भवन के निकट एक भूभाग को चिन्हित किया गया है जहां होटल-कम-हॉस्टल का निर्माण हो सके। उसकी चर्चाएं अखबारों की सुर्खियों में हैं, जहां फूड कोर्ट की व्यवस्था भी की जाएगी। अनुमान है कि इससे एक ओर जहां लगभग साल भर बंद रहने वाले विधानसभा भवन की देखरेख हो पाएगी, तो वहीं एंट्री टिकट से भी आय होगी। शीतकालीन सत्र के दौरान विधायकों तथा मंत्रियों आदि के रहने के इंतजाम निजी होटलों में होते हैं जिस पर काफी खर्चा होता है, इससे भी बचा जा सकेगा। यदि इरादे नेक हों तो विचार बुरा नहीं है, लेकिन पहले हिमाचल पर्यटन निगम के होटलों को घाटे से उबारने की कसरत करनी होगी। हिमाचल प्रदेश अपनी भौगोलिक स्थलाकृतिक विविधता और प्राचीन प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटन राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7 फीसदी का योगदान देता है। ऐसे समय में जब भारत की राजधानी दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में वायु एवं पर्यावरण संबंधी समस्याएं लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रही हैं, तो वहीं लगभग प्रदूषण रहित हिमाचल का शुद्ध वातावरण बाहरी पर्यटकों के हिमाचल प्रवास के लिए लाभदायी साबित हो सकता है। बस सरकार को पर्यटन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों शांति, प्राकृतिक सौंदर्यीकरण, परिवहन सुविधाएं, पार्किंग सुविधाएं, आतिथ्य | सत्कार, कर्मचारियों का अच्छा विनम्र रवैया, ऐतिहासिक स्थलों तक पहुंचने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए कमर कसनी होगी। यह सच भी है कि पर्यटन अपने सबसे अच्छे रूप में तब होता है जब गंतव्य स्थल अनुकूल जलवायु का दावा करते हों और निःसंदेह हिमाचल इस कसौटी पर खरा उतरता है। सुक्खू सरकार को एक पूर्णकालिक जिम्मेदार पर्यटन मंत्री की तैनाती के बारे में भी सोचना होगा जो व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का माद्दा रखता हो । पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जहां होम स्टे, गाइड, टैक्सी ड्राइवर, टूर ऑपरेटर्स, हैंडीक्राफ्ट, ट्रांसपोर्ट, जैम इंडस्ट्री, अभयारण्य, स्थानीय कलाकार, बुनकर समेत विभिन्न सेक्टरों में लोगों को रोजगार के मौके मिलते हैं। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोग जैसे कि हस्तशिल्प विक्रेता, रेस्तरां मालिक, वेंडर्स और फुटकर विक्रेता भी रोजगार प्राप्त करते हैं। हिमाचल सरकार को चाहिए कि राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल, बेहतर कनेक्टिविटी, माइस टूरिज्म अर्थात (मीटिंग्स, इन्सेंटिव्स, कॉन्फ्रेंस और एग्जीबिशन) ट्रेंड और नए होटल्स और रिसॉट्स जैसे राजस्थान पर्यटन द्वारा अपनाए जा रहे फार्मूलों को हिमाचल में भी आजमाए।

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