नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) पाइपलाइन से नहीं जुड़े कुओं से प्राकृतिक गैस निकालने के लिए छोटे आकार के एलएनजी संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर रही है। कंपनी ने गैस कुओं के पास ऐसे संयंत्र स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश, झारखंड और गुजरात में पांच स्थानों की पहचान की है। ये संयंत्र जमीन के नीचे से निकाली गई गैस को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) में बदलेंगे। इस एलएनजी को क्रायोजेनिक ट्रकों के जरिये समीप के पाइपलाइन में ले जाया जाएगा जहां इसे गैस की अवस्था में फिर से परिवर्तित किया जाएगा। उसके बाद इसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों, उर्वरक इकाइयों या शहर में गैस वितरण करने वाली खुदरा विक्रेताओं को की जाएगी। ओएनजीसी ने विनिर्माताओं / सेवा प्रदाताओं से ऐसे प्राकृतिक गैस का उपयोग करने के लिए एक निविदा जारी की है। निविदा में छोटे- एलएनजी संयंत्र स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में दो और गुजरात के अंकलेश्वर को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा झारखंड के बोकारो और गुजरात के कैम्बे में एक-एक स्थान की पहचान की गई है। ओएनजीसी ने निविदा दस्तावेज में कहा कि देश में पाइपलाइनों का एक व्यापक नेटवर्क है। पाइपलाइन के ये नेटवर्क आपूर्ति और मांग केंद्रों को जोड़ता है। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में ऐसे गैस हैं, जो पाइपलाइन से जुड़े नहीं है। इनका उपयोग घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाना आवश्यक है। इसमें कहा गया है। कि इस प्रकार की फंसी हुई गैस की मात्रा 5,000 से 50,000 मानक घन मीटर प्रतिदिन तक हैं। इनका उत्पादन पांच साल तक किया जा सकता है। निविदा में विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं से एलएनजी का उत्पादन करने के लिए बीओओ (बनाओ, स्वामित्व और परिचालन) के आधार पर एक छोटे पैमाने पर एलएनजी संयंत्र स्थापित करने, उत्पादित एलएनजी को करीब किलोमीटर तक कास्केड (उच्च दबाव वाले गैस सिलेंडर भंडारण प्रणाली) / टैंकरों के जरिये खपत स्थलों तक पहुंचाने के लिए बोलियां आमंत्रित की गईं हैं। इसके अलावा इसमें एलएनजी को फिर से गैस में बदलने और फिर उसे मौजूदा गैस वितरण ग्रिड में डालने अथवा सीधे थोक उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने की बात भी शामिल है। देश में प्रतिदिन नौ करोड़ मानक घन मीटर से अधिक प्राकृतिक गैस का उत्पादन होता है।