
नई दिल्ली (हि.स.) । संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने मंगलवार (12 मार्च) को एक राष्ट्र, एक चुनाव (ओएनओई) पहल पर चर्चा करने के लिए बैठक की। इसमें पूर्व न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने इससे जुड़े विषयों पर प्रश्न पूछे । जेपीसी ने निकट भविष्य में जनता की भावनाओं को समझने के लिए विज्ञापन देने और वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया। समिति की अगली बैठक 17 मार्च को होगी। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने अध्यक्ष पीपी चौधरी के नेतृत्व में एक राष्ट्र, एक चुनाव (ओएनओई) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर मंगलवार शाम संसद भवन परिसर में एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेमन शामिल हुए। कानूनी विशेषज्ञों ने इस मामले पर अपनी विस्तृत जानकारी दी । विभिन्न राजनीतिक दलों से समिति के सदस्यों ने कई विषयों पर सवाल पूछे। बैठक में मौजूद कांग्रेस के कई सदस्यों ने विधेयक की वैधता भी पर सवाल उठाए । बैठक के बाद जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि सभी सदस्य राष्ट्रीय हित की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जेपीसी दलीय राजनीति से परे स्वतंत्र रूप से काम करती है। इसके अलावा, पीपी चौधरी ने बताया कि समिति के सदस्यों द्वारा उठाई गए सवालों का समाधान का रास्ता बनाया जा रहा है। अध्यक्ष ने बताया की भविष्य में विभिन्न कानूनी और विषय विशेषज्ञों को योगदान देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। समिति ने जनता की राय जानने के लिए विज्ञापनों और वेबसाइटों का उपयोग करने की बात भी सिद्धांततः तय की गई है। समिति के अध्यक्ष ने समिति को बताया की एक देश, एक चुनाव की अवधारणा के बारे में जनता की भावना को जानने के लिए कई समाचार पत्रों और मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापन प्रकाशित किए जाएंगे। इन विज्ञापनों में एक क्यूआर कोड शामिल होगा, जिससे लोग सीधे वेबसाइट तक पहुंच सकेंगे और वहां अपने विचार प्रस्तुत कर सकेंगे। इसके अलावा, ओएनओई के लिए एक समर्पित वेबसाइट जल्द ही लॉन्च की जाएगी, जिससे आम जनता को अपनी राय देने में मदद मिलेगी। आगामी दिनों में, सभी प्रासंगिक पहलुओं पर व्यापक चर्चा सुनिश्चित करने के लिए बैठक में अतिरिक्त कानूनी विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।
