एक देश, एक चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने विधि आयोग को गिनाई परेशानी
नई दिल्ली (ईएमएस)। एक देश एक चुनाव को लेकर विधि आयोग की तैयारियों का दौर जारी है। इस बीच खबर हैं कि भारत निर्वाचन आयोग यानी ईसीआई ने नई व्यवस्था को लागू करने में एक साल के समय की मांग की है। आयोग ने पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को बनाने जैसी कई वजहें गिनाई हैं। फिलहाल, विधि आयोग अपनी रिपोर्ट बनाने के अंतिम दौर में है। बताया जा रहा हैं कि 2024 और 2029 में एक साथ चुनाव कराए जाने की स्थिति में मशीनों की संख्या को लेकर चुनाव जानकारी दे चुका है। एक वोटिंग मशीन में तीन हिस्से होते हैं, जिसमें कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट शामिल है। 2024 के लिए 11.49 लाख अतिरिक्त कंट्रोल यूनिट, 15.97 लाख बैलेट यूनिट्स और 12.37 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी। इसमें करीब 5200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। 2029 में चुनाव आयोग को 53.76 लाख बैलेट यूनिट्स, 38.67 लाख कंट्रोल यूनिट्स और 41.65 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी। इसकी बड़ी वजह पोलिंग स्टेशन और मतदाताओं की बढ़ती संख्या है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया हैं कि चुनाव आयोग वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर और चिप की कमी को लेकर चिंतित है। बताया जा रहा हैं कि विधि आयोग के साथ हुई बैठक में भी आयोग यह मुद्दा उठा चुका है। दरअसल, ईवीएम और वीवीपैट यानी वेरिफाइएबल, पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनों में इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है। अब खास बात है कि 2024 में होने वाले सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए ही आयोग को करीब 4 लाख मशीनों की जरूरत है। मशीनों की इन मौजूदा जरूरत में विधानसभा चुनावों को शामिल ही नहीं किया गया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अगुवाई में विधि आयोग काम कर रहा है। संभावाएं हैं कि आयोग संसदीय और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के विचार का समर्थन कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, एक सूत्र ने बताया, उन्हें (चुनाव आयोग ) को लगता है कि मौजूदा उत्पादक (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को देखकर वोटिंग मशीनों के निर्माण को बढ़ाने के लिए एक साल के समय की जरूरत होगी। साथ ही कोरोना के आने और रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते हुए सेमीकंडक्टर की कमी ने ईवीएम हासिल करने की प्रक्रिया को पहले ही प्रभावित किया है।