ईरान में 17 साल के नाबालिग को फांसी, हत्या के आरोप में कार्रवाई, इस साल अब तक 684 किशोरों को मौत की सजा
तेहरान । ईरान में नाबालिगों को फांसी देना जारी है। इस बीच, एक और 17 साल के एक किशोर को फांसी दे दी गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हामिद्रेजा अजारी को रजावी खुरासान प्रांत के पूर्वी शहर सब्जेवर जेल में फांसी दी गई। अजारी पर हत्या का आरोप है। अजारी अपने परिवार का इकलौता औलाद था। वह स्क्रैप वर्कर के रूप में काम करता था । मई में 16 साल की उम्र में उसने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जिसे फांसी की सजा सुनाई गई। मानवाधिकार संस्थाओं ने फांसी को संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन का उल्लंघन बताया है। ईरान की मानवधिकार संस्था का कहना है कि ईरान उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जो बाल दोषियों को मौत की सजा देता है। यहां अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक फांसी दी जाती है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल में अब तक ईरान में 684 नाबालिगों को फांसी दी जा चुकी है। ईरानी मीडिया के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया गया है और सवालों से बचने के लिए बालक की उम्र 18 वर्ष बताई गई। पिछले महीने, ईरान की नरगिस मोहम्मदी को शांति पुरस्कार के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था, जो फिलहाल जेल में बंद हैं। बता दें, मोहम्मदी हिजाब पहनने का विरोध कर रही हैं। इसलिए उन्हें जेल में बंद किया गया है। मोहम्मदी की रिहाई के आंदोलनकर्ताओं ने बताया था कि ईरान की कुख्यात एवियन जेल में कैद मोहम्मदी ने कैद की शर्तों और महिलाओं के हिजाब पहनने को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी मेडिकल देखभाल की मांग स्वीकार नहीं की गई है। नरगिस मोहम्मदी जबरन हिजाब पहनने के नियम का विरोध कर रही हैं। ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। हालांकि, इस नियम का समय-समय पर विरोध होता रहा है। पिछले साल सितंबर में ईरान की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में महसा अमीनी नाम की लड़की की मौत के बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुआ था। हिजाब नहीं पहनने के कारण मोरैलिटी पुलिस ने महसा को गिरफ्तार किया था।