इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया तीन प्रतिशत कमजोर हुआ है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती और वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से रुपया प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव कहीं कम रहा है। आने वाले वर्ष में रुपये की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा रही है। 2024 में रुपये की विनिमय दर ने प्रमुख मुद्राओं के साथ उतार-चढ़ाव देखा। रूस – यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट के साथ लाल सागर के जरिये व्यापार में अड़चनों के अलावा दुनिया के कई देशों में चुनावों ने रुपये की धारणा को प्रभावित किया। उभरते बाजारों में डॉलर में सुधार का असर पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तत्कालीन गवर्नर ने दर्शाया कि भारतीय रुपये में कम अस्थिरता है, लेकिन सरकार रुपये – डॉलर की दर को स्थिर करने के लिए प्रयासरत है। विदेशी मुद्रा भंडार में गैर- अमेरिकी मुद्राओं की बढ़त या गिरावट का प्रभाव रुपये पर भी होता है। विदेशी मुद्रा भंडार में घटाव देखा गया है, जिसके कारण रुपया कमजोर हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में बेहतर आर्थिक कारकों के कारण डॉलर में तेजी आई है। इसके अलावा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है, जिसके कारण डॉलर की मांग बढ़ी है। इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाने में पिछड़ा है, लेकिन उम्मीद है कि आगामी वर्ष में स्थिति में सुधार आएगा।