नई दिल् नवंबर के महीने में खाद्य तेलों का आयात 39 प्रतिशत बढ़ने के बीच देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए हैं। इस गिरावट के कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल- तिलहन, कच्चा पाम (सीपीओ), पामोलीन तेल और बिनौला तेल के दाम नुकसान के साथ बंद हुए हैं। बाजार के जानकार सूत्रों के मुताबिक नवंबर में आयात बढ़ने के बावजूद मांग कमजोर रहने से खाद्य तेल-तिलहनों के दाम पिछले सप्ताह के मुकाबले गिरावट के साथ बंद हो गए हैं। एक सूत्र ने बताया कि विदेशों में सीपीओ का दाम घटकर 1,305 -1,310 डॉलर प्रति टन से 1,270-1,275 डॉलर प्रति टन रह गया है, जिसके कारण पाम, पामोलीन तेल की कीमत में गिरावट आई है। हालांकि, देश में पिछले शुक्रवार की रात में पाम पामोलीन और सोयाबीन तेल की आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि की गई है, जिसके चलते इन तेलों के दाम बढ़ सकते हैं। लेकिन जब मौजूदा दाम पर ही पाम पामोलीन के लिवाल नहीं हैं, तो उन्हें बढ़े हुए दाम पर लिवाल मिलना मुश्किल हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला सीड की कम दाम पर बिकवाली करने से किसानों को कपास नरमा के लिए भी एमएसपी से नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हो गए हैं। इसका सीधा असर मूंगफली तेल – तिलहन पर भी पड़ रहा है। इसके अलावा मलेशिया में दाम टूटने की वजह से कच्चे पाम तेल का दाम 13,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हो गया है। इस गिरावट के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 650 रुपये की गिरावट के साथ 12, 150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हो गया है। इस उलझन और दाम कमी की स्थिति में खाद्य तेल-तिलहन बाजार की साथ में मजबूती से व्यवहार करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है ताकि किसानों और आम जनता को सही ताकतवर दाम मिल सकें ।