नई दिल्ली। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने असम सरकार की नई स्वीकृत नीति के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है, जिसके अनुसार आधार कार्ड आवेदन के लिए पात्र होने के लिए व्यक्तियों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में शामिल होने के लिए आवेदन करना होगा। बुधवार को असम के मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में केवल कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त भारतीय नागरिकों को ही आधार कार्ड दिए जाएं। नए नियम के तहत, जिन व्यक्तियों ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है, उनके आधार अनुरोध स्वत: ही खारिज हो जाएंगे, तथा केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बताया कि यह कदम राज्य के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि एनआरसी प्रक्रिया में केवल वैध निवासियों को ही शामिल किया जाए। पाल ने नीति का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे निर्णय लेना राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने वैध नागरिकों की पहचान करने में एनआरसी के महत्व पर जोर दिया, खासकर असम में, जहां अवैध अप्रवासियों के बारे में चिंताएं अधिक हैं। यह घोषणा राजनीतिक विवाद के बीच हुई है, खास तौर पर दिल्ली में, जहां आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने का आरोप लगाया है और उन्हें बदनाम किया है। पाल ने जवाब देते हुए कहा कि ये लोग भारतीय नागरिक नहीं हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित विपक्षी नेताओं की उनका समर्थन करने के लिए आलोचना की । एनआरसी – आधार नीति के अलावा पाल ने वक्फ संशोधन विधेयक की चल रही समीक्षा पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जेपीसी ने 44 प्रस्तावित संशोधनों पर विचार किया है। उन्होंने विधेयक से जुड़ी चर्चाओं में दारुल उलूम देवबंद जैसी संस्थाओं की भागीदारी का भी जिक्र किया।