असम में झारखंड की जनजातियों की पहचान मिटाईजा रही है : सोरेन

खूंटी | झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को असम के अपने समकक्ष हिमंत विश्व शर्मा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर राज्य में झारखंड की जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देकर उनकी पहचान मिटाई जा रही है। खूंटी जिले के तपकारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सोरेन ने कहा कि झारखंड से जुड़े बड़ी संख्या में लोग असम के चाय बागानों में रह रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। सोरेन ने आरोप लगाया कि असम के मुख्यमंत्री यहां के आदिवासियों के शुभचिंतक होने का दिखावा करते हैं। लेकिन उन्होंने झारखंड की जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा न देकर पूर्वोत्तर राज्य में उनकी पहचान मिटा दी है। मुख्यमंत्री ने भगवा पार्टी पर धर्म और अगड़े- पिछड़े के नाम पर समाज को बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में चुनाव की घोषणा तय समय से एक महीने पहले कर दी गई, क्योंकि यह राज्य सरकार को विकास कार्य करने से रोकने की भाजपा की साजिश थी। सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार को अपने पहले दो वर्षों में कोविड महामारी से निपटने में संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब स्थिति सामान्य होने लगी तो विपक्ष ने एक के बाद एक साजिश रची। जब वे असफल हो गए तो उन्होंने आखिरकार मुझे सलाखों के पीछे डाल दिया । सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास कार्यों में तेजी लायी, इसलिए चुनाव की घोषणा समय से पहले हो गयी। उन्होंने कहा कि एक हेमंत सोरेन को रोकने के लिए कई विपक्षी नेता हेलीकॉप्टरों में राज्य भर में घूम रहे हैं। झारखंड में फिर से गठबंधन सरकार बनाने का विश्वास जताते हुए सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार दिसंबर से माय सम्मान योजना के तहत मासिक भत्ता 1,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 रुपए करेगी और अगले पांच वर्षों में सभी को घर मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि हमने गरीबों के लिए घर बनाने के लिए केंद्र से बार-बार धन मांगा। लेकिन जब केंद्र ने धन नहीं दिया तो हमने राज्य के खजाने से गरीबों के लिए घर बनाने का फैसला किया। हमने पाया कि राज्य में 25 लाख घरों की जरूरत है।

असम में झारखंड की जनजातियों की पहचान मिटाईजा रही है : सोरेन
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