नई दिल्ली (हि.स.) । पूर्वोत्तर राज्यों के प्राकृतिक मनोरम दृश्यों के साथ वहां के विविध सांस्कृतिक कला, शिल्प और परंपराओं का सुंदर प्रदर्शन इन दिनों राजधानी के भारत मंडपम में चल रहा है। अष्टलक्ष्मी महोत्सव प्रगति और परंपरा दोनों के सार को खूबसूरती से दर्शाता है । यह पूर्वोत्तर भारत की परिवर्तनकारी यात्रा की एक झलक पेश करता है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ( डोनियर) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था । इस महोत्सव में सभी आठों राज्यों की सांस्कृतिक, परंपरा और लोककला की विशेषताओं को दर्शाया जा रहा है। पेड़ पर लगने वाले टमाटर से लेकर दुनिया की सबसे तीखी मिर्च तक, वहां के सिल्क साड़ियों के प्रदर्शन से लेकर ईरी और मूगा रेश्म के धागे तैयार करने की प्रक्रिया तक, हाथों से बुने स्वेटर से लेकर हथकरघा में तैयार होते शॉल तक सब एक छत के नीचे देखने को मिलेगा। महिला कारीगरों द्वारा तैयार कपड़े, सजावटी सामान को खरीदा भी जा सकता है। इसके साथ यहां आठों पूर्वोत्तर राज्यों के साथ जीआई टैग, और सिल्क बनाने की प्रक्रिया प्रदर्शित करने के लिए अलग मंडप बनाया गया है। मेघालय के मंडप में वहां के लिविंग ब्रिज को दर्शाया गया है, नगालैंड मंडप को बांस से सजाया गया है। असम के मंडप में वहां के अलग अलग प्रकार की चाय, अचार, और मिर्च से बने सॉस लिए जा सकते हैं। इसके साथ भारत मंडपम के हॉल नंबर 14 में कई रोबोट भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों की झलक दिखा रही है। लोग इन रोबोट के साथ फोटो भी खिंचवाते नजर आ रहे हैं। अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तकनीकी सत्र में भाग लिया, जिसका विषय था समृद्धि की ओर: विकसित भारत के लिए पूर्वोत्तर की प्रगति को गति देना। यहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक क्षमता को वैश्विक स्तर पर उजागर करना प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है। उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिल्ली में अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे 8 राज्यों की सांस्कृतिक क्षमताओं को 6-8 दिसंबर तक विभिन्न मंडपों में प्रदर्शित किया जाएगा। तकनीकी सत्र में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने पूर्वोत्तर में प्रगति के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया। तमांग ने सतत विकास, जैविक खेती और इको-पर्यटन में सिक्किम की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और इन पहलों को पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी विकास के मॉडल के रूप में पेश किया। इस सत्र में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा भी शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि अष्टलक्ष्मी यानि आठ पूर्वोत्तर राज्य- असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम का महोत्सव है। इस महोत्सव में 250 से अधिक कारीगर अद्वितीय हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि-बागवानी उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें 34 जीआई टैग वाली वस्तुएं शामिल हैं। इस महोत्सव में डिजाइन कॉन्क्लेव और फैशन शो में पारंपरिक और आधुनिक फैशन भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। रविवार को शिलांग चैंबर कॉयर और पारंपरिक नृत्य सहित जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित होंगे।