
नई दिल्ली। साल 2008 जब अमेरिकी कर्ज संकट के कारण पूरी दुनिया को खामियाजा भुगतना पड़ा था। फिर अमेरिका में वैसी ही स्थिति बनती दिख रही है, इस लेकर दिग्गज निवेशक ने सीधे शब्दों में चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका के कर्ज संकट का पूरी दुनिया पर असर दिखेगा। पहले से ही दबाव में घिरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद और दबाव में आ गई है। अमेरिका में आर्थिक मामलों के जानकार ने चेतावनी दी कि अमेरिका अपने बढ़ते कर्ज के साथ गंभीर डिमांड – सप्लाई की समस्या का सामना कर रहा है। यह स्थिति वैश्विक आर्थिक परिणामों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। जानकार ने कहा कि अमेरिका को बड़ी मात्रा में कर्ज बेचना होगा, लेकिन इस खरीदने के लिए पर्याप्त खरीदार नहीं मिल रहे। जानकार ने बताया कि अमेरिका का घाटा वर्तमान में जीडीपी का 7.2 फीसदी है, इस घाटे को 3 फीसदी तक कम करना होगा। यह एक बड़ी बात है। आर्थिक मामलों के जानकार ने साल 1930 के दशक में जर्मनी की आर्थिक नीतियों का उदाहरण दिया, जहां कर्ज माफी, टैरिफ बढ़ोतरी और संरक्षणवादी नीतियों का उपयोग घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किया था। उन्होंने तर्क दिया कि भी इसी तरह के पैटर्न दिख रहे हैं, जहां बढ़ता राष्ट्रवाद, संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक आर्थिक नीतियों को आकार दे रहे हैं। इसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि टैरिफ देशों के बीच संघर्ष को बढ़ा सकते हैं। जरूरी नहीं कि सैन्य टकराव की बात ही नुकसान पहुंचाती है। आर्थिक लड़ाइयां जैसे अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और चीन के बीच चल रहा टैरिफ वॉर भी दुनियाभर में गंभीर परिणाम ला सकती हैं। लिहाजा सभी इन आर्थिक और भू-राजनीतिक तनावों पर ध्यान दें, क्योंकि ये अप्रत्याशित और विघटनकारी बदलाव ला सकते हैं।
