मुंबई। भले ही महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री चेहरे के नाम पर सस्पेंस जारी है। वहीं, अब अटकलें तेज हो गई हैं। कि नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को आजाद मैदान में होगा। सीएम की रेस में अब भी देवेंद्र फडणवीस आगे हैं। एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को दो प्रमुख बैठकें रद्द कर दीं और सूत्रों की मानें तो वह अपने गांव सतारा के लिए रवाना हो गए हैं। विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद महाराष्ट्र में अगली सरकार के लिए सत्ता- साझाकरण समझौते को तैयार करने के लिए शिंदे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ गुरुवार देर रात शाह और नड्डा से मुलाकात की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा में पुराने और नए चेहरों को मिलाकर 17 कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं। एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नौ कैबिनेट मंत्री और अजित पवार की एनसीपी के सात कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं। एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को कहा कि गुरुवार रात राज्य में सरकार गठन के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ उनकी अच्छी और सकारात्मक चर्चा हुई। मुंबई रवाना होने से पहले नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री पर फैसला राज्य की राजधानी में महायुति गठबंधन की एक और बैठक में एक या दो दिन में लिया जाएगा। भाजपा गृह सहित प्रमुख विभागों पर महत्वपूर्ण रूप से बातचीत कर रही है, जो उसके चुनावी प्रभुत्व के बाद नियंत्रण को मजबूत करने के इरादे का संकेत देता है। अभी तक आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट नहीं है कि महाराष्ट्र कैबिनेट में किसे क्या मिलेगा। दिल्ली में देवेंद्र फड़णवीस, एकनाथ शिंदे, अजीत पवार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक निर्णायक बैठक का उद्देश्य लंबित मुद्दों को हल करना था। यह बैठक, जिसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी के लिए लंबित एक आसन्न घोषणा की उम्मीदों के साथ संपन्न हुई। नई व्यवस्था में शिंदे की भूमिका अनिश्चित बनी हुई है। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है या केंद्रीय भूमिका की पेशकश की जा सकती है। हालांकि, शिवसेना सूत्रों के हवाले से अन्य रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि वह राज्य मंत्रिमंडल में बने रह सकते हैं। भाजपा का मुख्यमंत्री पद के लिए फड़नवीस पर जोर हाल के विधानसभा चुनावों में उसके मजबूत प्रदर्शन के बाद आया है, जहां उसने 288 में से 132 सीटें हासिल की थीं। हालांकि, यह निर्णय चुनौतियों से रहित नहीं है।