रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अब इलेक्ट्रिक कारों और बैटरियों के विनिर्माण करने की प्लानिंग कर रही है। मीडिया रिपोर्ट में जानकार सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने अपनी योजनाओं के लिए सलाहकार के तौर पर चीनी वाहन विनिर्माता । बीवाईडी के पूर्व भारतीय अधिकारी को नियुक्त कर दिया है। सूत्र ने बताया कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह वाली कंपनी ने सालाना करीब 2.5 लाख वाहनों की शुरुआती क्षमता वाले इलेक्ट्रिक वाहन संयंत्र के लागत व्यवहार्यता अध्ययन के लिए बाहरी सलाहकारों की नियुक्ति है, जिसे आगे चलकर 7.5 लाख वाहनों तक बढ़ाया जाएगा। कंपनी 10 गीगावॉट घंटे । (जीडब्ल्यूएच) क्षमता वाली बैटरी संयंत्र लगाने की भी योजना बना रही है जिसे एक दशक में 75 जीडब्ल्यूएच तक बढ़ा दिया जाएगा। फिलहाल, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने इस पर | कोई टिप्पणी नहीं की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी के शेयर 0.2 फीसदी गिरे हुए थे लेकिन इस खबर के आने के बाद वह दो फीसदी चढ़कर बंद हुए। इलेक्ट्रिक वाहन परियोजना के लिए सलाहकार के तौर पर नियुक्त बीवाईडी के पूर्व अधिकारी संजय गोपालकृष्णन ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है। अनिल अंबानी एशिया के सबसे अमीर मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं। दोनों भाइयों ने साल 2005 में पारिवारिक विवाद के चलते कारोबार का बंटवारा कर लिया था। मुकेश अंबानी की कंपनी पहले से ही स्थानीय स्तर पर बैटरी विनिर्माण पर काम कर रही है और इस सप्ताह उसने 10 गीगावॉट बैटरी सेल उत्पादन के लिए सरकारी प्रोत्साहन की बोली भी जीती है लेकिन अनिल अंबानी की कंपनी इस योजना को आगे बढ़ाने का फैसला करती है तो दोनों भाई एक ऐसे बाजार में एक दूसरे के सामने होंगे जहां अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की उपस्थिति कम जरूर है लेकिन वह तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल भारत में बेची गई कुल 42 लाख कारों में से इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम थी लेकिन केंद्र सरकार साल 2030 तक इसे 30 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है। सरकार ने स्थानीय स्तर पर बैटरी सहित इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके कलपुर्जों के विनिर्माण करने वाली कंपनियों के लिए प्रोत्साहन के तौर पर पांच अरब डॉलर से ज्यादा का बजट रखा है। भारत में फिलहाल बैटरी विनिर्माण का काम शुरू नहीं हुआ है लेकिन एक्साइड और अमर राजा जैसी कुछ स्थानीय कंपनियों ने देश में लिथियम आयन बैटरी सेल बनाने के लिए चीनी कंपनियों के साथ समझौता किया है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर भी साझेदार की तलाश कर रही है जिनमें चीनी कंपनियां भी शामिल हैं।