लखनऊ (हिंस) । समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी की भेंट आज संयोग से लखनऊ एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में पहुंचे तो वहां पहले से बैठे फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध लेखक शायर जावेद अख्तर से हो गई। दोनों परस्पर परिचय होते ही दोनों के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का संबंध आया तो जावेद अख्तर की दिलचस्पी उनको लेकर भी बढ़ गई। दोनों के बीच हुई बातचीत को लेकर सपा राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने जानकारी दी। उन्होंने पत्र के जरिए बताया कि इस मुलाकात के दौरान बात की शुरुआत में ही जावेद साहब ने बताया कि वे इन दिनों कबीर और रहीम के दोहों की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता पर विशेष काम कर रहे हैं । इसी सिलसिले में वे लखनऊ आए थे। अख्तर साहब ने दो तीन दोहे भी सुनाए और उनकी व्याख्या भी की। उनका कहना था कि कबीर की वाणी में सरल आध्यात्मिक ज्ञान है जो मानव को सोचने और समझने पर विवश करता है जबकि रहीम आपसी सद्भावना के प्रेरक है। इन दोनों की विचारधारा सामाजिक सद्भाव और प्रेम से जीवन जीने की प्रेरणा देती है। आज के समय मानवीय मूल्यों पर हमला है तब और भी कबीर की प्रासंगिकता बढ़ गई है। कबीर की वाणी खरी-खरी है रहीम के दोहों में भी गहरी समझ है फिर बात आगे बढ़ी तो साहित्य और राजनीति के विविध पहलुओं पर भी चर्चा होने लगी। जावेद साहब ने आराधना फिल्म की बात छेड़ी। फिर शोले का जिक्र कैसे नहीं होता। 1974 में इस फिल्म ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए थे। सलीम- जावेद की जोड़ी ने अमिताभ बच्चन को हीरो बना दिया। जावेद साहब का एक और रूप है सोशल एक्टिविस्ट का समय-समय पर वे आज के मुद्दों पर अपने विचार रखते हैं। जिन पर कई बार विवाद भी हो जाता है। जावेद अख्तर का मानना है कि देश में विघटनकारी राजनीति के दिन अब गिने चुने रह गए हैं। भाजपा शीर्ष स्थान से नीचे की ओर ढलान पर है। देश के अंदर ही अंदर आक्रोश है और आने वाला समय महत्वपूर्ण होगा।