गुवाहाटी (विभास) । अक्षय नवमी के उपलक्ष्य में अक्षय वृक्ष (अंवाला) की पूजा करने के लिए महिलाओं का गुवाहाटी गौशाला में प्रातः काल से दोपहर तक आने का सिलसिला जारी रहा। महिलाओं ने आवला के वृक्ष की पूजा कर उसकी प्रदिक्षणा की एवं रक्षा सूत्र बांधा। धार्मिक मान्यता के अनुसार अक्षय नवमी का दिन बेहतर शुभ माना जाता है। यह पर्व अक्षय तृतीया के बराबर ही महत्वपूर्ण है। इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई थी । अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आवला के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। आंवला नवमी के दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन अक्षय नवमी का व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। अन्यथा आंवला नवमी की पूजा अधूरी मानी जाती है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार अंवला में सैकड़ों बीमारी ठीक करने का औषधिय गुण है। सर्दी के दिनों में आवल से बना च्यवनप्राश स्वास्थ्य के लिए बेहद फलदायक व फायदेमंद है। इसके अलावा पेट के विकार, मधुमेह आदि में भी आंवला महत्वपूर्ण है । अतः इसके पेड़ को लालन-पालन करके देखभाल करनी चाहिए।