स्टेशन के अपग्रेडेशन के लिए पुराने भवनों का ध्वस्तीकरण
गुवाहाटी (विभास)। रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए रेल मंत्रालय ने विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के अंतर्गत भारतीय रेल के कई स्टेशनों का अपग्रेडेशन/आधुनिकीकरण योजनाओं की रुपरेखा तैयार की है। चिन्हित 204 स्टेशनों में से, पूसी रेल के अधीन न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन को बेहतर, अतिरिक्त और बढ़ी हुई यात्री सुविधाएं प्रदान करने के लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ-साथ अपग्रेड करने के लिए भी चिन्हित किया गया है। अपग्रेडेशन का कार्य पहले ही प्रारंभ कर दिया गया है। योजनानुसार सिविल निर्माण कार्य शुरू करने के लिए स्थल तैयार करने हेतु मुख्य स्टेशन भवन में सामने के खुदरा क्षेत्रों और कार्यालयों आदि सहित पुरानी संरचाओं को तोडऩे का कार्य शुरू कर दिया गया है। आगमन-1 टर्मिनल की नींव का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। आगमन-2 और प्रस्थान टर्मिनल के लिए कार्य जल्द ही शुरू होगा। यूटीएस सह पीआरएस काउंटरों को रेलवे विद्युतीकरण के विश्राम गृह के पास रामनगर कॉलोनी रोड पर एक नए स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है। जैसे-जैसे अपग्रेडेशन का कार्य आगे बढ़ेगा, मौजूदा पार्किंग क्षेत्र, पार्सल और आरएमएस कार्यालयों को भी जल्द ही नए स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। एक ही समय में यात्रियों को हवाई अड्डे जैसा अनुभव और आराम प्रदान करने के लिए स्टेशन में विशाल कवर्ड पार्किंग क्षेत्र, 24 घंटे विद्युत आपूर्ति, पीने का पानी, वातानुकूलित लॉबी, कार्यालय, दुकानें, हाई स्पीड एस्केलेटर, लिफ्ट, एयर कॉनकोर्स, होटल आदि जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। यात्रियों के लिए प्रवेश और निकास की व्यवस्था पूरी तरह से अलग होगी। स्टेशन का अपग्रेडेशन कार्य पूरा होने के बाद, वर्तमान में छत्तीस हजार प्रति दिन से 70 हजार से अधिक यात्रियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए तैयार होगा। न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के संपूर्ण अपग्रेडिंग कार्य की अनुमानित लागत करीब 334.72 करोड़ रुपए होगी। न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पूसी रेल के सबसे बड़े और सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है, जो सभी पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में कार्य करता है। न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के अपग्रेडेशन से उत्तर बंगाल के साथ-साथ सिक्किम में यात्रा, पर्यटन आदि सहित स्थानीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। अपग्रेडेशन की इस परियोजना को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।