गुवाहाटी । असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 20 सितंबर को राज्य की न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों की चिंताजनक स्थिति को दूर करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण नीतिगत पहल की घोषणा की। असम में वर्तमान 4.5 लाख से अधिक और पूरे देश में 3 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबित मामलों की संख्या न्याय प्रदान करने में एक बड़ी बाधा है। इस बोझ को कम करने के लिए असम सरकार ने कई छोटे-मोटे मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जिससे न्यायिक संसाधन अधिक गंभीर मामलों के लिए मुक्त हो जाएंगे। शर्मा ने कहा कि लंबित मामले हमारी न्यायिक प्रणाली की एक बड़ी खामी हैं । नई नीति के तहत, वापसी के लिए पात्र मामलों में छोटे अपराध शामिल हैं, जबकि छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम के तहत अपराध, भ्रष्टाचार और संगठित अपराध से जुड़े मामलों जैसे गंभीर अपराधों को बाहर रखा गया है। उल्लेखनीय रूप से, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और विधान सभा सदस्यों (एमएलए) और संसद सदस्यों (एमपी) से जुड़े मामलों से संबंधित अपराध भी बाहर रखे गए हैं। इस पहल के तहत कठोर केस फिल्टरिंग प्रक्रिया लागू की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सबसे ज्यादा जरूरी मामलों पर जरूरी ध्यान दिया जाए। शर्मा ने कहा कि छोटे और मामूली मामलों को वापस लेकर, असम न्यायिक लंबित मामलों को कम करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठा रहा है।