राष्ट्र निर्माण के लिए परंपरा और तकनीक दोनों की जरूरत : डॉ. जयशंकर

राष्ट्र निर्माण के लिए परंपरा और तकनीक दोनों की जरूरत : डॉ. जयशंकर
राष्ट्र निर्माण के लिए परंपरा और तकनीक दोनों की जरूरत : डॉ. जयशंकर

वाराणसी (हि.स.) । विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि ऐतिहासिक चुनौतियों पर काबू पाने के बाद भारत अब वैश्विक मंच पर अपना स्थान पुनः प्राप्त कर रहा है। साथ ही दुनिया भर में सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा दे रहा है। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति का इस्तेमाल करने की अपार क्षमता है। भारत की ताकत परंपरा और प्रौद्योगिकी, स्वतंत्रता और सहयोग, तथा राष्ट्रीय हित को वैश्विक सद्भावना के साथ संतुलित करने की क्षमता है। विदेश मंत्री रविवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (आईआईटी बीएचयू) के मेधावी छात्रों से संवाद कर रहे थे। इसी सभागार में काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में तमिलनाडु से आए प्रतिनिधियों और विदेशी राजनयिकों के साथ संवाद के बाद विदेश मंत्री ने विद्यार्थियों को देश की विदेश नीति से अवगत कराया। उन्होंने पेरिस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का खास तौर पर उल्लेख किया। कहा कि भारत एआई से जुड़े सांस्कृतिक पूर्वाग्रह के मुद्दे का प्रभावी रूप से हल कर सकता है। उन्होंने छात्रों से सवाल जबाब के क्रम में विकासशील देशों को पारंपरिक विकास मॉडल से आगे निकलने में सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को बताया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ आए 45 देशों के राजदूतों ने भी छात्रों के सवालों के जवाब दिए। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हमेशा वैश्विक आदान-प्रदान, बातचीत के लिए तत्पर है। उन्होंने छात्रों से अपने दैनिक जीवन में विदेश नीति के महत्व को पहचानने का आग्रह किया। छात्रों को अपनी सांस्कृतिक विरासत और तकनीकी प्रगति दोनों को अपनाकर खुद को वैश्विक प्रतियोगिता के लिए तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया। विश्व को जोड़ना – विश्व बंधु थीम वाले इस कार्यक्रम में छात्रों ने वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका पर पर बातचीत की। संवाद में आईआईटी बीएचयू के चौथे वर्ष के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मानव मेहता ने वैश्विक स्तर पर विश्व बंधु अवधारणा के प्रचार के बारे में जानना चाहा। डॉ. जयशंकर ने जवाब दिया कि भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित इस विचार को मीडिया, कूटनीति और सबसे महत्वपूर्ण रूप से कार्रवाई के माध्यम से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल कराने में भारत की भूमिका को भी बताया। कहा कि विश्व का मित्र बनने के लिए केवल घोषणाएं पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि ठोस प्रयास आवश्यक हैं। औद्योगिक इंजीनियरिंग की मुस्कान प्रियकांत रावत ने युवाओं में भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने से जुड़ा सवाल उठाया।

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