
महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व बुधवार को प्रातः हरहर महादेव के उदघोष से शुरू हुआ और शाम चार बजे तक 1.32 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और यमुना के संगम में श्रद्धा की डुबकी लगाकर अब तक स्नान करने वालों की संख्या 66 करोड़ पार कर गईं। महाकुंभ में इतनी संख्या में कभी भी स्नान करने श्रद्धालु नहीं पहुंचे थे। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ 2025 का विधिवत समापन की घोषणा करेंगे। दरअसल महाकुंभ में कुछ अप्रिय घटनाओं के कारण इसके महात्म्य को कम करके आंकना और बेतुकी टिप्पणी करने वालों को उम्मीद है कि उनके कुछ वोट बढ़ जाएंगे या उनके परम्परागत वोटर ज्यादा समर्पण भाव में आ जाएंगे। जिन्होंने महाकुंभ को फालतू बताया, उन्हें बहुत राजनीतिक लाभ होगा, इसकी उम्मीद कम है । इसी तरह जिन्होंने महाकुंभ को मृत्यु कुंभ बोला उन्हें भी कुछ ज्यादा परम्परागत वोटरों से लाभ मिलने वाला नहीं है। उन्हें भी अपने इस बयान से ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है जिन्होंने भीड़ में मरने वालों की संख्या हजार बताकर गंगा का जल प्रदूषित बताया । उत्तर प्रदेश के एक विपक्षी नेता तो महाकुंभ की सफलता को लेकर इतने बौखलाए हुए हैं कि रोज कुछ न कुछ आयं- बायं सायं बकते रहते हैं । कभी जल की शुद्धता पर तो कभी सुरक्षा व्यवस्था पर । विरोधी नेता से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सलाह देंगे। कमियों पर शासन का ध्यान केद्रित करेंगे किंतु जिस भाषा, भाव, शैली का इस्तेमाल सपा नेता अखिलेश यादव करते हैं उससे उनके विरोध का दुराशय ही परिलक्षित होता है। लेकिन सच यह है कि भगदड़ की जांच के दौरान एक पार्टी विशेष के कुछ विघ्न संतोषी तत्वों द्वारा षड्यंत्र करके भगदड़ मचाने की घटना इतनी वुशलता से की जा रही है कि अब की जांच एजेंसियां तथ्यों को एकत्र करके कार्रवाई करने की तैयारी कर रही हैं। जानकारी मिली है कि शरारती तत्वों ने मात्र महाकुंभ की वजह से सरकार की प्रशंसा से परेशान होकर जो वुछ भी खुराफात उसमें भीड़ प्रबंधन और भीड़ के कारण मौत को लेकर प्रचार का जो हथवंडा अपनाया वह इंटरनेट मीडिया पर घटिया दुष्प्रचार था । ऐसी-ऐसी फोटो और वीडियो दिखाईं गईं जो बांग्लादेश की किसी अन्य कार्यंक्रम की थी या तुकी, पाकिस्तान और मिस्र की थीं। यही नहीं जिन लोगों को भीड़ में मरा हुआ दिखाया व बताया गया वे सभी जीवित हैं । प्रयागराज पुलिस ने काफी परिश्रम के बाद ऐसे लोगों के बारे में डेटा एकत्र किया है और अब ये सभी जल्दी ही पकड़े जाएंगे। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर धक्का-मुक्की करने के उद्देश्य से कुछ ही देर में 1500 प्लेटफार्म के टिकट खरीदने वालों की भी पहचान की जा रही है। सच तो यह है कि महाकुंभ के बाद सनातन के खिलाफ बेतुके बयानबाजों को तो सबक जरूर मिल गया होगा कि अब हिंदू खुद पर गर्व करने से संकोच नहीं करता। सनातनी धर्म की ध्वजा लहरा रही है तो इसका सबसे बड़ा कारण है कि केंद्र और राज्य में ऐसे नेताओं की सरकारें हैं जो न तो खुद को हिंदू कहने में संकोच करते हैं और न ही हिंदू हितों के लिए पैसले लेने में हिचकते हैं। बहरहाल दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला महाकुंभ दशकों तक स्मरण किया जाएगा। भीड़ प्रबंधन के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और आपदा प्रबंधन के लिए प्रयागराज का यह मेला उपयुक्त केस स्टडी माना जाएगा। भगदड़ में मौत न हो यह सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। महाकुंभ में इतनी तैयारियों के बावजूद भी यदि भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुईं तो यह अत्यंत दुखद है कितु श्रद्धालुओं की संख्या देखते हुए महाकुंभ 2024-25 की तारीफ की जानी चाहिए।
