नई दिल्ली। भारतीय खो-खो (केकेएफआई) अंतरराष्ट्रीय खो-खो फेडरेशन के सहयोग से 2025 में भारत में पहले खो-खो विश्व कप का आयोजन करेगा। इस ऐतिहासिक आयोजन में 6 महाद्वीपों के 24 देश भाग लेंगे। इसमें 16 पुरुष और 16 महिला टीमें भाग लेंगी। खो-खो की जड़ें भारत में हैं और यह विश्व कप इस खेल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्रतिस्पर्धी भावना को उजागर करेगा। आज, यह खेल जो मिट्टी से शुरू हुआ और मैट पर आ गया है। अब दुनिया भर में यह खेल 54 देशों के साथ वैश्विक उपस्थिति बना चुका है। विश्व कप से पहले खेल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खो-खो महासंघ 10 शहरों के 200 एलीट स्कूलों में खेल को ले जाने की योजना बना रहा है । महासंघ स्कूली छात्रों के लिए सदस्यता अभियान भी चलाएगा, जिसका उद्देश्य विश्व कप से पहले कम से कम 50 लाख खिलाड़ियों को पंजीकृत करना है। भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष शसुधांशु मित्तल ने आगामी आयोजन को लेकर कहा, हम पहले खो-खो विश्व कप की मेजबानी करने के लिए बेहद उत्साहित हैं । यह टूर्नामेंट सिर्फ़ प्रतिस्पर्धा की मिसाल नहीं बनेगा बल्कि यह देशों को एक साथ लाने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और दुनिया को खो-खो की सुंदरता और तीव्रता दिखाने का काम करेगा । हमारा अंतिम लक्ष्य 2032 तक खो-खो को ओलंपिक खेल के रूप में मान्यता दिलाना है और यह विश्व कप उस सपने की ओर पहला कदम है। इस टूर्नामेंट में एक हफ्ते तक चलने वाले मैचों की श्रृंखला होगी, जिसमें दुनिया भर के शीर्ष स्तरीय एथलीट अपने कौशल, चपलता और टीमवर्क का प्रदर्शन करेंगे। इस बीच, खो-खो विश्व कप का उद्देश्य इस स्वदेशी भारतीय खेल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाना है। इस ऐतिहासिक टूर्नामेंट की मेजबानी करके, केकेएफआई 2032 संस्करण तक ओलंपिक खेलों में खो-खो की जगह सुरक्षित करने की इच्छा रखता है, जो खेल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।