भारत ने चीन का नाम लिए बगैर साधा निशाना, श्रीलंका में दी सलाह- कर्ज के पीछे छिपे एजेंडे को समझें देश
नई दिल्ली।
भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र के देशों से विकास की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने को कहा और उन्हें अव्यावहारिक परियोजनाओं या अस्थिर कर्ज में छिपे एजेंडे के खतरों के मामले में स्पष्ट रहने को कहा । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) की 23वीं मंत्रिमंडलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) के आधार पर हिंद महासागर को एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी स्थान के रूप में बनाए रखना महत्वपूर्ण है । भारत की ओर ये ये बातें चीन की ओर से जारी कर्जे के ट्रैप जुड़ी डिप्लोमेसी के संदर्भ में कही है । बाद में प्रेस को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आईओआरए के प्रति भारत की प्रतिबद्धता शांतिपूर्ण सह- अस्तित्व, साझा समृद्धि और क्षेत्रीय सहयोग के सिद्धांतों में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा, सदस्य देशों के विकास और समृद्धि के लिए विकास संबंधी चुनौतियों का लगातार और प्रभावी तरीके से समाधान किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, हमें समुद्री अर्थव्यवस्था, संसाधनों, कनेक्टिविटी और सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर सहयोग करना चाहिए।
जयशंकर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा- हमें स्पष्ट होना चाहिए कि खतरा कहां है - जयशंकर ने किसी भी देश का नाम लिए बिना कहा, हमें समान रूप से स्पष्ट होना चाहिए कि खतरे कहां हैं, हो सकता है ये खतरे छिपे हुए एजेंडों में हो, अव्यवहार्य परियोजनाओं में हों या अस्थिर ऋटा में हो। अनुभवों का आदान-प्रदान, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, अधिक जागरूकता और गहरा सहयोग समाधान का हिस्सा हैं।
चीन की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह हथियाने से दुनिया चिंतित - बता दें कि हंबनटोटा बंदरगाह, जिसे चीन की ओर से ऋण देकर वित्त पोषित किया गया था, को 2017 में 99 साल के - फॉर - इक्विटी स्वैप के एवज में बीजिंग को पट्टे पर दिया गया था क्योंकि श्रीलंका ऋण का भुगतान करने में विफल रहा था। चीन की ओर से हंबनटोटा बंदरगाह को 1.2 अरब डॉलर की कर्ज की अदला-बदली के लिए 99 साल के लिए हथियाने से अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का जन्म हुआ है। बीजिंग ने छोटे देशों को भारी ऋण और निवेश प्रदान करके घर से दूर रणनीतिक संपत्तियों का अधिग्रहण किया है। चीन की ओर से अपनी बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आड़ में ऋण जाल फैलाकर और क्षेत्रीय आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश पर वैश्विक स्तर पर चिंताएं हैं। चीन एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक के देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भारी रकम खर्च कर रहा है। अमेरिका का पिछला डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन बीआरआई की बेहद आलोचना करता था और उसका मानना था कि चीन के हिंसक वित्तपोषण से छोटे देश भारी कर्ज में दबे हैं और उनकी संप्रभुता खतरे में है ।
हिंद महासागर में चीनी नौसेना के जहाज और पनडुब्बियां सक्रिय - चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ा रहा है और दक्षिण चीन सागर (एससीएस) और पूर्वी चीन सागर (ईसीएस) दोनों क्षेत्रों में विवादों में भी उलझा हुआ है। हिंद महासागर में चीनी नौसेना के जहाज और पनडुब्बियां भी सक्रिय हैं। चीन अपने निगरानी और अनुसंधान जहाज भी श्रीलंका भेज रहा है। जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर न केवल पानी का एक महत्वपूर्ण निकाय है, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक गलियारा भी है, जो दुनिया के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, हिंद महासागर के देशों की भलाई और प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता, जिसमें सबसे पहले प्रतिक्रिया देना और शुद्ध सुरक्षा प्रदान करना शामिल है, हमारी पड़ोस प्रथम नीति, सागर के प्रति हमारे दृष्टिकोण और विस्तारित पड़ोस के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने कहा, यह हिंद-प्रशांत के हमारे व्यापक दृष्टिकोण पर भी आधारित है जो नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, कानून के शासन, सतत और पारदर्शी बुनियादी ढांचे में निवेश, नौवहन और उड़ान भरने की स्वतंत्रता और संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति ईमानदारी से सम्मान पर आधारित है । जयशंकर उन 16 मंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने बैठक में भाग लिया । इस बैठक में बांग्लादेश, ईरान, मॉरीशस, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री भी शामिल हुए।
भारत ने चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधा - भारत ने परोक्ष रूप से चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के साथ-साथ एक बहुपक्षीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हिंद महासागर को एक मजबूत समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने का आधार है। भारत की टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब चीन इस क्षेत्र में लगातार अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यहां 'हिंद महासागर रिम एसोसिएशन' (आईओआरए) के मंत्रियों की परिषद की 23वीं बैठक में कहा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि के आधार पर हिंद महासागर को एक मुक्त, खुला और समावेशी स्थान बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत ने 2023-25 के लिए आईओआरए के उपाध्यक्ष की भूमिका ग्रहण की। इस मौके पर जयशंकर ने कहा, "हम हिंद महासागर क्षेत्र में क्षमता निर्माण और सुरक्षा सुनिश्चित करने में पहले उत्तरदाता के तौर पर योगदान देने के अपने दृष्टिकोण को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर के देशों की भलाई और प्रगति के लिए भारत की प्रतिबद्धता पड़ोसी प्रथम नीति, सागर दृष्टिकोण, विस्तारित पड़ोस और हिंद- प्रशांत के प्रति उसके दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने कहा, 'एक बहुपक्षीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान हिंद महासागर को एक मजबूत समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने का आधार बना हुआ है।