नई दिल्ली अमेरिका द्वारा जारी किए गए एच1बी वीजाधारकों का करीब एक-पांचवां हिस्सा भारतीय मूल की प्रौद्योगिकी कंपनियों ने हासिल किया है, इसका पता अमेरिकी आव्रजन विभाग के आंकड़ों से चलता है। इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) इस दौरान सबसे आगे रही हैं। अप्रैल-सितंबर, 2024 की अवधि में भारतीय तकनीकी कंपनियों को जारी किए गए कुल 1.3 लाख एच1बी वीजा में से लगभग 24,766 वीजा भारतीय मूल की कंपनियों को जारी किए गए। इनमें से इन्फोसिस ने 8,140 लाभार्थियों के साथ अग्रणी स्थान हासिल किया। उसके बाद टीसीएस (5,274) और एचसीएल अमेरिका (2,953) का स्थान रहा । अग्रणी होने की दिशा में इन्फोसिस के एक अधिकारी कहते हैं, हमारी जिम्मेदारी उत्कृष्टता की ओर साथ ऊंचाईयों की तरफ जाना है। विभिन्न भारतीय कंपनियां जैसे टेक महिंद्रा, विप्रो, और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इस चरण में भी उभरती हैं। इस कार्यक्रम से लाभान्वित होकर, ये कंपनियां न केवल एच1बी वीजाधारकों के लिए सर्वाधिक पसंदीदा नियोक्ताओं में शामिल हो रही हैं, बल्कि अमेरिका में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की दिशा में भी अग्रणी बन रही हैं। इस कार्यक्रम का भविष्य अमेरिकी कंपनियों के कुशल कार्यकर्मियों की जरूरत पर निर्भर होगा, जबकि उन्हें नियामकीय परिवर्तनों और सार्वजनिक मत को ध्यान में रखते हुए अपने नौकरियों को रक्षित रखने के लिए पहल करनी होगी। टेस्ला के उद्योगपति एलन मस्क ने भी इस कार्यक्रम की महत्वता को स्वीकार किया है और उसे समर्थन दिया है। इस कार्यक्रम से संबंधित मस्क के तांत्रिक कहने पर कंपनियों के लिए अमेरिका में विदेशी कार्यकर्मियों की महत्वपूर्णता को दिखाने की तय हो गई है। अमेरिकी नीतिकर्मियों की सुधार और सुरक्षितता से संबंधित निर्णय होंगें।