गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति के बाद से राज्य की पुलिस ने करीब 50 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की है और उन्हें वापस भेजा है। शर्मा ने कहा कि ये घुसपैठिए देश के दक्षिणी शहरों तक पहुंचने के लिए असम का इस्तेमाल कर रहे थे, ताकि कपड़ा उद्योग में काम कर सकें। उन्होंने कहा कि वह अपने तमिलनाडु के समकक्ष को पत्र लिखेंगे, ताकि हाल ही में इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड) की जांच की जा सके। शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जब पड़ोसी देश में अशांति होती है तो इसके प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। पिछले कुछ महीनों में हमारी पुलिस ने करीब 50 बांग्लादेशियों की पहचान की और उन्हें वापस धकेल दिया । त्रिपुरा पुलिस और बीएसएफ भी इसी प्रकार के अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि करीमगंज जिले में घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं, इसलिए वहां सुरक्षा को बढ़ाया जा रहा है। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में शर्मा ने कहा कि तीन अवैध प्रवासियों को बुधवार की सुबह पीछे धकेला गया। उन्होंने कहा कि हमारी सीमाओं को किसी भी घुसपैठ से बचाने के लिए जारी नीति के तहत करीमगंज पुलिस ने आज सुबह 00:50 बजे बांग्लादेशी नागरिकों को पहचान कर उन्हें पीछे धकेल दिया। उन्होंने आगे कहा कि घुसपैठियों की पहचान मोहम्मद जुबैर शेख, जुएल शेख और रुमा खातून के रूप में हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को प्रवेश करते देखा गया, वे मुस्लिम थे न कि हिंदू या बंगाली, जैसा कि आम धारणा थी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक शरणार्थी नहीं, बल्कि आर्थिक शरणार्थी भारत में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए कपड़ा उद्योग में काम करने के तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी हिस्सों में जाने की कोशिश कर रहे थे। शर्मा ने कहा, मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा, ताकि हाल ही में कपड़ा उद्योग में शामिल हुए लोगों की पृष्ठभूमि की जांच की जा सके। मुझे संदेह है कि शायद हम केवल दस फीसदी लोगों का पता लगा पा रहे हैं, जो अवैध तरीक से प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं।