(हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को यहां लोकभवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से चयनित 647 वन रक्षकों वन्य जीवन रक्षकों एवं 41 अवर अभियंताओं को नियुक्ति पत्र वितरित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 के पहले जिन लोगों ने युवाओं को छला था, वही आज दुष्प्रचार कर रहे हैं। आयोगों को लूट का अड्डा बना दिया था। बैकडोर से भर्तियां होती थीं। सरकारों के पास न नीति थी । न नियम… । इसीलिए आज गिरोह परेशान है । तो गिरोह के सरगना का परेशान होना लाजमी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन देश और दुनिया के लिए ज्वलंत मुद्दा है। आज मानवता के सामने संकट खड़ा हो गया है। असमय अतिवृष्टि, ओला, बाढ़, सूखा से नुकसान होता है। अति सर्वत्र वर्जयेत… । अति हर चीज का अच्छा नहीं होता। ये वन्यजीव रक्षक अगर अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे तो इस संकट से निपटने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि नियुक्ति पत्र मिलने में पहले कई वर्ष लग जाता थालेकिन आज भर्ती होने से नियुक्ति पत्र मिलने में 6 महीने से 1 वर्ष के अंदर मिल रहा है । आपको इस भर्ती प्रक्रिया में कोई सिफारिश कोई लेन देन नहीं करना पड़ा होगा । यही सरकार भी आपसे अपेक्षा करती है। शुचितापूर्ण भर्ती हुई है तो आप से ईमानदारी का कार्य भी होना चाहिए । मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए घातक हो गए हैं। आप कभी भी पहाड़ों, जंगलों में जाएंगे तो जंगल जलते मिलेंगे । जंगल जलेंगे तो इसके दुष्परिणाम भी दिखाई देंगे। भूस्खलन होगा। आज से साढ़े 7 वर्ष पहले हमने वनाच्छादन को बढ़ाने का संकल्प लिया था । इस् के लिए हम हर वर्ष वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाते हैं। इससे हमको कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा भी मिली। योगी ने कहा क पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के लिए आज इंजीनियर भी नियुक्ति पत्र पा रहे हैं । प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा को अविरल निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे अभियान भी चलाया। नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए आज आवश्यकता । इससे हम प्रकृति और पर्यावरण दोनो को बचा पाएंगे। वन्यजीव रक्षक की भी आज नियुक्ति हो रही है। अक्सर हमको वन्यजीव संघर्ष देखने, सुनने को मिल रहा है। इसमें एक भी जान हमारे लिए दुःखद है। अगर कहीं किसी वन्यजीव के कमांड एरिया में जलभराव होगा तो वह आबादी की तरफ भागेगा, तराई के क्षेत्र जंगल और खेती दोनो एक दूसरे से सटे होते हैं। जंगल मे पानी भरेगा तो वन्यजीव आसपास गन्ने के खेत में आश्रय बनाएगा। इस स्थिति में कोई किसान खेत मे अकेले होगा तो वन्यजीव हिंसक होगा। जंगल खेत के बॉर्डर एरिया को इलेक्ट्रिक फेनसिंग की आवश्यकता होती है। हमको भी पहले जागरूक होना पड़ेगा फिर ग्रामीणों को इससे बचाव भी बता सकते हैं। इस काम के लिए वन विभाग के पास पैसे भी दिए जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्य में प्रशिक्षण की आवश्यकता है। कोई भी जानवर हिंसक नहीं होता । जब कोई एक दूसरे के एरिया में अतिक्रमण करेगा तो ऐसा होता है । हमको इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देना होगा। जीवन चक्र मनुष्य के साथ वन्यजीव का भी साथ-साथ चलता है । मानव वन्यजीव संघर्ष से होने वाली जनहानि के लिए उत्तर प्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसको आपदा के अंतर्गत मान्य किया गया और 5 लाख की राशि इसके लिए दी जाती है। अवैध खनन के लिए कार्रवाई करने के कारण ही आज वनाच्छादन बढ़ा है। वन्यजीव बढ़े हैं।