पहली बार साइन लैंग्वेज में भी रिलीज होगी फिल्म टाइगर नागेश्वर राव
मुंबई (ईएमएस)। तेलुगू स्टार रवि तेजा की फिल्म टाइगर नागेश्वर राव तमाम भाषाओं में तो रिलीज हो रही रही है, साथ ही इसे साइन लेंग्वेज में भी रिलीज किया जा रहा है, जोकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। अब यह फिल्म पहली ऐसी भारतीय फिल्म होगी जो साइन लेंग्वेज में भी आ रही है। बताया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक फिल्म पहुंचाने की कोशिश ने पैन इंडिया के फॉमूर्ले की शुरूआत की। साउथ की फिल्म इंडस्ट्रीज से लेकर बॉलीवुड की फिल्में भी अब एक साथ कई भाषाओं में रिलीज होने लगी हैं। कई ऐसी भी फिल्में बन रही हैं जिन्हें मेकर्स एक साथ दस भाषाओं में रिलीज करने वाले हैं। अलग-अलग भाषा बोलने वाले दर्शकों के लिए तो फिल्में तैयार हो ही रही हैं लेकिन डिफरेंटली एबल्ड या भिन्न शारीरिक क्षमताओं वालों तक भी सिनेमा पहुंचने लगे तो कितना बेहतरीन होगा! तेलुगू स्टार रवि तेजा की पैन इंडिया फिल्म टाइगर नागेश्वर राव इसी महीने रिलीज होने को तैयार है । इस फिल्म से जुड़ी एक ऐसी जानकारी सामने आई है जिसके लिए निमार्ताओं की तारीफ की जानी चाहिए। रवि तेजा की ये फिल्म ऑरिजिनल तेलुगू वर्जन समेत हिंदी और अन्य भाषाओं में तो रिलीज होगी ही, साथ ही, इसे साइन लैंग्वेज में भी रिलीज किया जाएगा। इससे वो लोग भी फिल्म देख पाएंगे, जो सुन नहीं सकते। जानकारी के अनुसार टाइगर नागेश्वर राव पहली भारतीय फिल्म बनने जा रही है जो थिएटर्स में साइन लैंग्वेज में रिलीज होगी। हालांकि इससे पहले भी कई फिल्में इस तरह की पहल करती रही हैं और इन्हें ऑरिजिनल रिलीज के बाद भारतीय साइन लैंग्वेज में भी रिलीज किया गया। भारत की ये साइन लैंग्वेज 1986 में डेवलप की गई थी। सिर्फ सुन पाने में अक्षम लोग ही नहीं, एजुकेशन से जुड़े बहुत सारे लोग भी ये साइन लैंग्वेज यूज करते हैं। पिछले साल की धमाकेदार हिट द कश्मीर फाइल्स ओटीटी पर भारतीय साइन लैंग्वेज के साथ रिलीज हुई थी। पहली कमर्शियल बॉलीवुड फिल्म थी जिसने इस तरह की कोशिश की थी। इस मौके को यादगार बनाने के लिए द कश्मीर फाइल्स की एक स्पेशल स्क्रीनिंग भी रखी गई थी जिसमें 500 ऐसे लोगों ने हिस्सा लिया था जो नहीं सकते । इस स्क्रीनिंग में डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री, उनकी पत्नी और फिल्म की एक्ट्रेस पल्लवी जोशी और एक्टर दर्शन कुमार भी मौजूद थे। भारत में करीब 6.3 करोड़ लोग ऐसे हैं जो सुन नहीं सकते या उनके सुनने की क्षमता बहुत कम है। लेकिन सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जो उन लोगों तक एंटरटेनमेंट पहुंचा सकता है जो साइन लैंग्वेज समझ सकते हैं। ऐसे में टाइगर नागेश्वर राव जैसी फिल्मों का प्रयास वाकई सराहनीय है।