पश्चिमी राजस्थान में लगेगी 60 गीगावाट क्षमता की सोलर विंड एवं हाइब्रिड परियोजना

जयपुर ( हिंस)। राजस्थान में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन लाख करोड़ रुपए के निवेश के ऐतिहासिक एमओयू (समझौता पत्र) पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए गए। यह निवेश प्रदेश के पश्चिमी जिलों में 60 गीगावाट क्षमता की सोलर विंड एवं हाइब्रिड परियोजना की स्थापना के लिए किया जाएगा। मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में यूएई के निवेश मंत्री मोहम्मद हसन अल सुवेदी और उद्योग विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह ऐतिहासिक एमओयू अक्षय ऊर्जा से संबंधित आधुनिकतम तकनीक का उपयोग करते हुए एक दीर्घ अवधिक विद्युत परियोजना की स्थापना के माध्यम से प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया। इस पहल के अंतर्गत यूएई एक योग्य एवं सक्षम डेवलपर की नियुक्ति भी करेगा जो प्रदेश में शासन-प्रशासन के स्तर पर समन्वय स्थापित कर परियोजना को तेजी से साकार रूप प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही हैं। केंद्र सरकार ने देश में 500 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजस्थान को 250 गीगावॉट के सोलर प्लांट लगाने होंगे। यूएई के साथ यह साझेदारी इस लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी । यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन में वांछित बदलाव लेकर आएगी साथ ही, इससे राजस्थान संवहनीय ऊर्जा नवाचारों के मॉडल के तौर पर भी उभरेगा। शर्मा ने कहा कि अनुकूल निवेश नीतियों से राजस्थान अक्षय ऊर्जा में निवेशकों की पसंद बना है। आज राजस्थान भारत में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में पहले स्थान पर है। अगले 10 वर्षों में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर बिजली तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के एमओयू किए हैं। लगभग 10 महीने के कार्यकाल में 32 हजार मेगावॉट के संयंत्र लगाने के एमओयू साइन किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत और यूएई के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक और रणनीतिक साझेदारी और गहरी हुई है। यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत से होने वाले निर्यात में यूएई दूसरे पायदान पर है। यह दोनों देशों के संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाता है। वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच हुए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) से द्विपक्षीय व्यापार के नए अवसर खुल रहे हैं। यूएई के निवेश मंत्री मोहम्मद हसन अल सुवैदी ने कहा कि नवीकरणीय संसाधनों से ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है । पारंपरिक ऊर्जा से अक्षय ऊर्जा की ओर इस बदलाव में यूएई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राजस्थान की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। निश्चित रूप से ये नवाचार ही आगे चलकर ऊर्जा क्षेत्र की तस्वीर बदलेंगे। मुलाकात के दौरान शर्मा ने आगामी 9 से 11 दिसम्बर तक जयपुर में आयोजित होने जा रहे राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट-2024 में सुवैदी को आमंत्रित किया। शर्मा ने यूएई के निवेश मंत्री को राजस्थान में अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट ग्रिड, ऊर्जा भंडारण, वितरण के साथ-साथ होटल एवं पर्यटन, और अवसंरचना विकास परियोजनाओं में निवेश की संभावनाओं के बारे में भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पंप स्टोरेज ऊर्जा उत्पादन, सौर ऊर्जा, पेयजल परियोजनाओं एवं हाइवे निर्माण में वृहद स्तर पर परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। ऐसे में यूएई के सॉवरिन वेल्थ फंड और अन्य फंड्स के लिए राजस्थान में निवेश के बेहतरीन अवसर उपलब्ध हैं।

पश्चिमी राजस्थान में लगेगी 60 गीगावाट क्षमता की सोलर विंड एवं हाइब्रिड परियोजना


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