नई दिल्ली। जमीयत उलेमा- ए-हिंद ने शनिवार को मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ से आग्रह किया कि वे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा के मिया मुसलमान टिप्पणियों का संज्ञान लें। जमीयत ने कहा कि उनकी टिप्पणियां संविधानिक सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं। मुस्लिम एक बयान में कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने सीजेआई, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखा है। जिसमें असम के मुख्यमंत्री द्वारा कई गई संविधान विरोधी टिप्पणियों को उजागर किया गया है और तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। बयान के मुताबिक, जमीयत प्रमुख ने शर्मा द्वारा की गई हालिया मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मदनी ने जोर देकर कहा कि ये बयान न केवल अनुचित है, बल्कि संविधान के सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं। उन्होंने सीजेआई से आग्रह किया कि वे इसका संज्ञान लें । मदनी ने यह भी कहा कि संविधान में परिभाषित मुख्यमंत्री की भूमिका सभी नागरिकं के प्रति निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने की है। लेकिन, मुख्यमंत्र शर्मा इन मौलिक जिम्मेदारियों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। हाल ही में एक विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री ने बेहिचक घोषणा की- मैं एक पक्ष लूंगा, यह मेरी विचारधारा है और आगे कहा कि मैं मिया मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने दूंगा। जमीयत ने दावा किया कि ये भड़काऊ बयान ऐसे समय में दिए गए हैं, जब ऊपरी असम में तीस से अधिक उग्रवादी समूहों ने बांग्ला मुसलमानों को उस क्षेत्र में छोड़ने की चेतावनी दी है। मदनी ने जोर दिया कि ऐसे संवेदनशील समय में मुख्यमंत्री के लिए जरूरी है कि वे सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दें, न कि बांटने वाले भाषणों से उपद्रवियों को और प्रोत्साहित करें।