गुवाहाटी । काति बिहू असमिया लोगों की कृषि, धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। फसलों की सुरक्षा और किसानों के कल्याण का आह्वान करने के लिए तुलसी के नीचे दीप जलाना असम में लोक जीवन का एक अभिन्न अंग है। कंक्रीट महानगर के चचल में उपर चचल बिहू सम्मिलन ने एक आर्कषणीय रूप में जाति की परंपरा सुरक्षित कर प्रत्येक साल भोगाली, रंगाली और इस काति बिहू का आयोजन करते आ रहे है । कार्यक्रम के तहत तुलसी के नीचे दीप प्रज्जवलित, आलोकसज्जा और दीपों के प्रकाश से आकाश के मनोरम दृश्य व बिहूतली में एक अलग रौनक लाता है । चचल सार्वजनिक नामघर के मातांए व बहनों की ओर कीर्तन नाम, चचल जनजाति महिला नामति दल की आर्कषणीय दिहानाम ने उपस्थित सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । काति बिहू कार्यक्रम वृहत्तर चलल इलाके के विशिष्ठ व्यक्ति तथा दो सौ से अधिक भक्तों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक बना दिया। हाल ही में रजक जंयती वर्ष में प्रवेश करनेवाले उपर चचल बिहू सम्मिलन ने सालभर विस्तृत कार्यक्रम से रजत जयंती वर्ष आयोजन करने के लिए हरेश्वर डेका को अध्यक्ष, डॉ. बूधिन सइकिया को कार्यकारी अध्यक्ष, नव कुमार मुदै को महासचिव, प्रशात सइकिया और नवनीता बरदलै को संयुक्त सचिव और डॉ. नव नाहर डेका को कोषाध्यक्ष के रूप में लेकर एक शक्तिशाली 101 सदस्यीय आयोजन समिति का गठन किया गया। सालभर चलनेवाले कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी की सहयोगिता और सहभागिता का आयोजन समिति के सांस्कृतिक सचिव द्वय पूर्णकांत महंत और धनंजय तालुकदार ने कामना की।