केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने गुरुवार को इस्पात क्षेत्र में सतत विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस्पात उद्योग की शीर्ष नेताओं के साथ कार्बन सीमा समायोजन कर पर चर्चा करने का सुझाव दिया। उन्होंने उद्योग से वर्ष 2047 तक 50 करोड़ टन इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य रखने को भी कहा । केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने नई दिल्ली में भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के स्टील कॉन्क्लेव 2024 को ऑनलाइन संबोधित करते हुए यह बात कही। गोयल ने संबोधन में उद्योग से 2047 तक 50 करोड़ टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखने को भी कहा। फिलहाल उद्योग की नजर 2030 तक 30 करोड़ टन उत्पादन करने पर है। वाणिज्य मंत्री ने उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने और देश में उच्च उत्पादकता तथा इस्पात उद्योग की चार-पांच शीर्ष हस्तियां इस अहम विषय पर विचार-विमर्श के UNION लिए उनके साथ बैठक कर सकती हैं। गुणवत्ता वाले इस्पात को बढ़ावा देने के लिए नए एवं बेहतर तरीके खोजने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आइए हम अपने उत्पादन को अनुकूलित करने, अपशिष्ट को कम करने और मूल्य श्रृंखला की दक्षता में सुधार करने तथा संसाधनों के सर्वोत्तम इस्तेमाल वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल करने की कोशिश करें। उन्होंने कार्बन कर पर सुझाव दिया कि पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार धन की कमी के कारण निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना का लाभ इस क्षेत्र को नहीं दे पा रही है। उन्होंने कहा कि आइए हम चार-पांच लोग सीमा समायोजन कर पर एक और प्रयास करते हैं। गोयल ने उद्योग से अन्य देशों में किसी भी अनुचित व्यापार प्रथाओं के बारे में सरकार को सूचित करने को भी कहा, ताकि भारत उनके खिलाफ जवाबी कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि बिजली शुल्क, कोई भी अतिरिक्त राज्य शुल्क या कर जो आपको नहीं मिल रहा है, जो अन्य देशों में नहीं वसूला जा रहा है, उसे सीमा समायोजन कर के जरिए समायोजित किया जा सकता है।