ओटावा। कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो की सरकार अल्पमत में आ गई है। खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के सरकार से समर्थन वापस लेने की वजह से टूडो राजनीतिक बंवडर में फंस गए हैं। उन्हें सरकार बचाए रखने के लिए अब दूसरे सहयोगियों की जरूरत है। विपक्षी दलों ने समय से पहले चुनाव कराने की मांग की है। कनाडा में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं। कनाडा की संसद में टूडो की पार्टी के पास 130 सीटें हैं। बहुमत के लिए उन्हें नौ और सीटों की जरूरत है। विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के पास 119 सीटें हैं। इसके अलावा एनडीपी के पास 24 और क्यूबेक पार्टी के पास 32 सीटें हैं। एनडीपी ने टूडो सरकार से समर्थन वापस ले लिया है तो उन्हें अब क्यूबेक पार्टी से समर्थन की दरकार होगी। कनाडा में इस महीने के आखिर में संसद का सत्र शुरू होना है। जस्टिन टूडो सरकार को बजट पास कराने के लिए हाउस ऑफ कॉमंस में अन्य दलों का समर्थन हासिल करना होगा। अगर अल्पमत में आई टूडो सरकार के खिलाफ कंजरवेटिव पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो बहुमत साबित करने के लिए किसी और दल से समर्थन की जरूरत होगी। इसलिए टूडो की कोशिश होगी कि वह सत्र शुरू होने से पहले क्यूबेक पार्टी का समर्थन हासिल करें। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि क्यूबिक पार्टी से समर्थन न मिलने पर प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो इस्तीफा देकर समय से पहले चुनाव कराने की घोषणा कर सकते हैं। कनाडा के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) प्रमुख जगमीत सिंह सुर्खियों में आ गए हैं। पंजाब के बरनाला जिले के ठीकरिवाल गांव में जन्मे जगमीत सिंह का परिवार 1993 से कनाडा में रह रहा है। जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी 2021 से जस्टिन टूडो की सरकार की सहयोगी रही है। इसके लिए टूडो और जगमीत के बीच हुए समझौते को सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस के नाम से जाना जाता है। यह समझौता संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की सूरत में सरकार को बचाने के लिए किया गया था। तब यह तय किया गया था कि इसके बदले में लिबरल पार्टी संसद में एनडीपी की प्रमुख प्राथमिकताओं का समर्थन करेगी। इन प्राथमिकताओं में कम आय वाले परिवारों के लिए लाभ, नेशनल फार्माकेयर प्रोग्राम और हड़ताल के दौरान दूसरे वर्कर्स के इस्तेमाल को रोकने वाले कानून की बात थी। पिछले महीने कनाडा में दो सबसे बड़े रेलवे ने अपना काम बंद कर दिया। इसके बाद टूडो की कैबिनेट ने इंडस्ट्रियल बोल्ट को बाध्यकारी मध्यस्थता लागू करने का निर्देश दिया। इस वजह से ही एनडीपी ने अपनी प्राथमिकताओं पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया। सवाल यह है कि आखिर टूडो के पास क्या विकल्प बचे हैं। इस पर कनाडा की राजनीति पर नजर रखने वाले प्रेक्षक कहते हैं कि अब टूडो के पास यह ही विकल्प बचा है कि वह अपने पद से इस्तीफा दें और देश में जल्दी चुनाव कराएं।