नई दिल्ली। असम के एक एनकाउंटर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है। कोर्ट ने पूछा, क्या राज्य पुलिस मुठभेड़ के जरिए किसी विशेष समुदाय को निशाना बना रही है? सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ यसीन जवादर बनाम असम सरकार मामले में यह सवाल किया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुइयां की पीठ ने फर्जी मुठभेड़ मामलों को लेकर पुलिस की धीमी जांच के बारे में भी सरकार से सवाल किया। जस्टिस भुइयां ने कहा कि क्या पुलिसकर्मी एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं? अपने कर्तव्यों में ये अति कर रहे हैं ? इस तरह की याचिकाओं को समय से पहले की प्रकृति का बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है। मजिस्ट्रियल जांच अब तक नहीं चलनी चाहिए। इसमें मुश्किल से 10 या 15 दिन लगने चाहिए। ये घटनाएं 2021 और 2022 की हैं। अब यह निरर्थक होगा। पीठ ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ों के मामले में राज्य का अतीत परेशानी भरा रहा है। कोर्ट ने कहा कि चाहे जो भी हो, यह नहीं कहा जा सकता कि एनकाउंटर नहीं हुए। राज्य का अतीत परेशानी भरा रहा है, ऐसी खबरें भी हैं। आप इससे इनकार नहीं कर सकते । वहीं, उत्तर प्रदेश में मदरसों से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है, जिनमें मदरसों के संबंध में कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के उल्लंघन के आधार पर असंवैधानिक करार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सोमवार को अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और मेनका गुरुस्वामी सहित अन्य वकीलों की दलीलें सुनीं थीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के प्रति उल्लंघनकारी माना था। साथ ही इसे असंवैधानिक करार दिया था ।