शिलांग | मेघालय के निजी विश्वविद्यालय पर असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच होगी। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के सांग्मा ने मामले में असम और मेघालय के अधिकारियों की संयुक्त समिति का गठन किया है। यह समिति जांच के बाद सीएम को रिपोर्ट देगी। असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा ने पिछले महीने मेघालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विवि (यूएसटीएम) और इसके मालिक – कुलपति महबाबुल हक पर आरोप लगाया था । शर्मा ने यूएसटीएम और इसके मालिक और वीसी हक को गुवाहाटी के खिलाफ बाढ़ जिहाद के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें दावा किया गया था कि संस्थान ने अपने परिसर में पहाड़ियों को नुकसान पहुंचाया है। इससे गुवाहाटी में बड़े पैमाने पर हुए जलभराव हुआ था । यूएसटीएम जोराबाट समेत गुवाहाटी के बाहरी इलाके और मेघालय के री- भोई जिले में है । असम के सीएम ने यह भी दावा किया था कि यूनिवर्सिटी के गेट का डिजाइन इस्लामिक है। इसे लेकर मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के सांग्मा ने कहा कि यूएसटीएम के मुद्दे पर असम के सीएम और मेरी बात हुई है। इसमे तय हुआ कि असम और मेघालय के अधिकारियों की संयुक्त समिति गठित की जाएगी। जो असम के मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए मामलों की जांच करेगी। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव मिलकर समिति का गठन करने की तैयारी कर रहे हैं । मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि समिति असम के मुद्दों को सुलझाने में सक्षम होगी। समिति एक सप्ताह में काम शुरू कर देगी। साथ ही अन्य मुद्दों पर भी गौर करेगी। असम के सीएम शर्मा ने बुधवार को कहा था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय ( यूएसटीएम) के कुलपति महबूबुल हक ने 1992 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित होने का दावा करते हुए एक प्रमाण पत्र प्राप्त किया था। हालांकि, उसी वर्ष एक शिकायत के आधार पर, अगस्त 1996 में ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया था क्योंकि यह पाया गया था कि हक किसी भी समुदाय से संबंधित नहीं थे। उन्होंने कहा था कि करीमगंज के जिला आयुक्त को तब उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करनी चाहिए थी। हालांकि, तब ऐसा नहीं किया गया लेकिन अब हम हक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेंगे।